Home मध्य प्रदेश मप्र में फिर ‎मिले कोरोना वायरस के 22 मरीज

मप्र में फिर ‎मिले कोरोना वायरस के 22 मरीज

22
0

भोपाल । प्रदेश से कोरोना वायरस ने अभी अल‎विदा नहीं कहा है, लेकिन लोग पूरी तरह से लापरवाह हो गए है। लोग सर्दी-जुकाम व बुखार को वायरल समझकर न नजरअंदाज कर रहे हैं। नतीजतन कोरोना वायरस केसों में धीरे-धीरे बढोत्तरी होने लगी है। पिछले महीने प्रदेश में एक दिन में मिलने वाले कोरोना मरीजों की संख्या सबसे कम छह तक आ गई थी, लेकिन पिछले तीन दिन से फिर मरीज बढ़े हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा रविवार को जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार शनिवार को प्रदेश में कोरोना के 22 मरीज मिले हैं। शुक्रवार को भी इतने ही मरीज मिले थे। इसके बाद भी न तो लोग सतर्क हैं न ही सरकार गंभीर है। ज्यादा सैंपलिंग दिखाने के लिए फर्जी जांच दिखाने के मामले भी सामने आ चुके हैं। विशेषज्ञों ने चेताया है कि इन दिनों वायरल फीवर के मामले बढ़े हैं। इसके लक्षण भी कोरोना की तरह होते हैं। ऐसे में सामान्य बुखार समझकर जांच कराने में देरी न करें। मौसम में बदलाव के बाद बुखार के मरीज तो बढ़ गए हैं, लेकिन फीवर क्लीनिकों में जांच कराने वालों की संख्या नहीं बढ़ी है। भोपाल में हर दिन करीब छह हजार सैंपल की जांच होती है। इनमें करीब 1600 सैंपल पिछले महीने तक फीवर क्लीनिक से आ रहे थे। अब भी वही स्थिति है। जेपी अस्पताल में सुबह आठ से रात आठ बजे तक चलने वाले फीवर क्लीनिक में भी पहले की तरह करीब 100 मरीज ही रोज जांच के लिए आ रहे हैं। सैंपलिंग का लक्ष्य पूरा करने के लिए टीम औचक सैंपलिंग कर रही है। आक्सीजन प्लांट- 229 टन रोज आक्सीजन बनाने की क्षमता वाले 186 जनरेशन प्लांट प्रदेश में लगाए जाने हैं। अभी तक 88 प्लांट तैयार हो गए हैं। जिला अस्पतालों में पहले से 586 बिस्तर का आइसीयू है। तीसरी लहर के लिए 650 बिस्तर का आइसीयू और 330 बिस्तर का बच्चों के लिए आइसीयू बनाया जा रहा है। इसके वेंटिलेटर मॉनीटर व अन्य उपकरण भी आ चुके हैं, लेकिन सिविल कार्य अभी ज्यादातर जगह पूरा नहीं हुआ है। मेडिकल कॉलेजों में 1200 बिस्तर का आइसीयू और 600 बिस्तर का बच्चों के लिए आइसीयू बनाया जाना है। 30 सितंबर तक बिस्तर तैयार करने का लक्ष्य है। हमीदिया अस्पताल भोपाल समेत ज्यादातर अस्पतालों में अभी सिविल कार्य ही चल रहा है। प्रदेश में हर दिन 75 हजार सैंपल लेने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें 40 हजार जांचें आरटी-पीसीआर तकनीक से जबकि 35 हजार रैपिड एंटीजन किट से की जानी हैं। पिछले एक हफ्ते से कुल सैंपल 70 हजार से कम हैं। लक्ष्य पूरा करने के फेर में सैंपलिंग में कई जगह लापरवाही देखने को मिल रही है। यह भी शिकायतें मिल रही हैं कि सैंपलिंग वाले कर्मचारी स्टिक को गले तक नहीं डालते, जिससे रिपोर्ट निगेटिव आती है। भोपाल में ऐसा भी मामला सामने आ चुका है कि बिना जांच किए ही निगेटिव रिपोर्ट दी जा रही है। इस बारे में छाती व श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. लोकेंद्र दवे का कहना है कि अभी तीसरी लहर की संभावना नहीं लग रही है। सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीज बढ़े हैं, लेकिन ज्यादातर मामले वायरल फीवर के ही हैं। फिर भी बेफिक्र नहीं होना चाहिए। सर्दी-जुकाम होते ही खुद को आइसोलेट कर लें और कोरोना की जांच कराएं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here