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पंजशीर घाटी में नार्दर्न अलायंस के साथ संघर्ष में 8 लड़ाके मारे जाने के बाद बौखलाया तालिबान

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काबुल। अफगानिस्‍तान की पंजशीर घाटी को कई दिनों से घेरकर बैठे तालिबानी आतंकियों को हर हमले में मुंह की खानी पड़ रही है। ताजा हमलों में उसके 8 से ज्‍यादा लड़ाके मारे गए हैं। अमेरिकी सैनिकों के देश छोड़ने के बाद एकदम से आक्रामक हुआ तालिबान अपने लड़ाकों के मारे जाने से बौखला गया है।
उसने नॉर्दन एलायंस के नेता अहमद मसूद को धमकी दे डाली है। तालिबान ने कहा कि विद्रोहियों को अपने खून से इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। पंजशीर घाटी ही अब एकमात्र इलाका है जहां अभी तक तालिबान का कब्‍जा नहीं हो पाया है। पंजशीर घाटी में अहमद मसूद के सैनिकों ने तालिबान को धूल चटाने की पूरी तैयारी कर ली है। यही नहीं इन लड़ाकों को तालिबान से बेहतर ट्रेनिंग दिलाई जा रही है। यही वजह है वे तालिबान से मुकाबले में अब तक कमजोर नहीं पड़े हैं। पंजशीर घाटी अफगानिस्‍तान की राजधानी काबुल से 150 किमी दूर है और यहां लगभग एक लाख लोग रहते हैं।
इस इलाके के नेताओं को अब तालिबानी आतंकी धमकाने में जुट गए हैं। इन नेताओं का कहना है कि पंजशीर घाटी में हजारों की तादाद में लड़ाके मौजूद हैं। इसमें अफगानिस्‍तान की सेना से निकले कमांडर भी शामिल हैं। तालिबानी आतंकियों ने पंजशीर घाटी की टेलिफोन लाइन और इंटरनेट को काट दिया था। पंजशीर के नेता और अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने अपने एक आलेख में कहा था मैं पंजशीर की घाटी से आज लिख रहा हूं और अपने पिता के नक्‍शे कदम पर चलने को तैयार हूं। मेरे साथ मुजाहिद्दीन लड़ाके हैं जो एक बार फिर से तालिबान के साथ संघर्ष के लिए तैयार हैं।
अहमद मसूद ने लिखा हमने विस्‍फोटक पदार्थ और हथियार अपने पिता के समय से ही इकट्ठा करके रखे हैं, क्‍योंकि हम जानते थे कि यह दिन आ सकता है। पंजशीर अफगानिस्तान का एकमात्र ऐसा प्रांत है, जिसपर आजतक तालिबान का कब्जा नहीं हो सका है।
1996 से 2001 के इस्लामिक अमीरात के शासन के दौरान भी पंजशीर तालिबान के लिए एक नासूर बना रहा। तालिबान ने कहा था कि पंजशीर के स्थानीय राज्य के अधिकारियों ने इसे शांतिपूर्वक सौंपने से इनकार कर दिया, जिसके बाद से हमें अपने लड़ाके भेजने पड़े हैं। अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह इसी इलाके में रह रहे हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मैं कभी भी और किसी भी परिस्थिति में तालिबान के आतंकवादियों के सामने नहीं झुकूंगा। मैं अपने नायक अहमद शाह मसूद, कमांडर, लीजेंड और गाइड की आत्मा और विरासत के साथ कभी विश्वासघात नहीं करूंगा। मैं उन लाखों लोगों को निराश नहीं करूंगा जिन्होंने मेरी बात सुनी। मैं तालिबान के साथ कभी भी एक छत के नीचे नहीं रहूंगा।

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