धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़
वन मण्डल धरमजयगढ़ क्षेत्र हाथियों के लिए अनुकूल जगह बन गया है। विगत दो दशकों से हाथियों ने डेरा जमा लिया है। हर दिन चारों तरफ से हाथियों का समाचार मिलते रहता है। वहीं दिनों दिन इनकी संख्या भी बढ़ती जा रही है। एक दो के अलावा कभी कभी झुंड में भी दिखाई देते हैं। इस क्षेत्र में हाथियों द्वारा घरद्वार फ सल व जानमाल को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वहीं कई हाथियों की मौत भी हो चुकी है। 18 जुलाई की शाम को एक जंगली हाथी दुर्गापुर गौठान के पास दिखाई दिया। गांव किनारे ही गौठान बना हुआ है। वहीं हाथी सुबह शाहपुर से अंबेटिकरा मुख्य मार्ग पर विचरण करते देखा गया था। कुछ दिन पहले भी एक हाथी इस क्षेत्र में घूम रहा था।
जंगली हाथी को गांव किनारे देखकर ग्रामीण सहम जाते हैं। लेकिन कुछ कर भी नहीं सकते। वहीं शासन हाथी के समस्या को समाप्त करने अभी तक कुछ ठोस कदम नहीं उठाया है। वन विभाग द्वारा लेमरू हाथी कॉरिडोर को स्वीकृति दी गई है लेकिन अभी तक धरातल पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। बता दें कि हाथी की सूचना मिलने पर वन विभाग द्वारा उस क्षेत्र में मुनादी करवाई जाती है। लेकिन कई बार तो वन विभाग को हाथी आने की जानकारी नहीं होती है। ग्रामीण भगवान भरोसे जीने को मजबूर हो गए हैं। बताया जा रहा है यह हाथी कुछ दिन पहले बीमार हुआ था तब से कमजोर हो गया है और जंगल छोड़कर गांव-गांव घूम रहा है।