Home मध्य प्रदेश दिव्यांगों को जल्द मिलेंगे राष्ट्रीय स्तर के दो सेंटर

दिव्यांगों को जल्द मिलेंगे राष्ट्रीय स्तर के दो सेंटर

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भोपाल । केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं समाज कल्याण मंत्री थावरचंद्र गेहलोत ने शुक्रवार को मंत्रालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ अफसरों की बैठक ली। उन्होंने दिव्यांगों के लिए प्रदेश में बन रहे दो राष्ट्रीय स्तर के सेंटरों की प्रोग्रेस जानी और आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत दिव्यांगों के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। इसके अलावा दिव्यांगों की अन्य योजनाओं के बारे में भी चर्चा की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ हुई इस अहम बैठक में केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने मप्र के ग्वालियर में बन रहे दिव्यांगों के राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम और सीहोर जिले में बनने वाले मेंटल हेल्थ एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट के सिलसिले में चर्चा की। दोनों ही सेंटरों के लिए मप्र सरकार ने नि:शुल्क जमीन उपलब्ध कराई है। गेहलोत ने कहा कि देश में ट्रांसजेंडरों को पहचान दिलाने में मप्र पहला राज्य है। भोपाल में सबसे पहले ट्रांसजेंडर पहचान पत्र दिए गए हैं। दिव्यांगों को सबसे ज्यादा पहचान पत्र मप्र में बनाए गए हैं।

सीहोर में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एवं रिसर्च के लिए सीहोर में मध्यप्रदेश सरकार ने नि:शुल्क जमीन दी है। सीहोर जिले में 25 एकड़ भूमि पर 180 करोड़ की लागत से यह सेंटर बनाया जाएगा। इसका निर्माण जून 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। मार्च 2019 में सीहोर के शेरपुरा में इस सेंटर की आधारशिला रखी गई थी। बताया जाता है कि यह सेंटर मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास के क्षेत्र में प्रोफेशनल्स को तैयार करेगा। यह सेंटर मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए नीति और कार्यक्रम तैयार करने में सरकार की मदद करेगा। इसमें व्यावसायिक परामर्श, देखभाल, मनोरोग नर्सिंग, समुदाय आधारित पुनर्वास, मनोविज्ञान आदि के क्षेत्र में सर्टिफिकेट कोर्स से लेकर एमफिल तक कई पाठ्यक्रम संचालित करेगा।

ग्वालियर में बन रहा है दिव्यांगों का स्टेडियम

राज्य सरकार ने दिव्यांगों के लिए राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम बनाने के लिए भी जमीन दी थी। ग्वालियर में यह जमीन एक रुपए में दी गई है, जिस पर यह स्टेडियम बनाया जा रहा है। सितंबर 2020 में शिवराज कैबिनेट बैठक में इसके प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस खेल परिसर में 17 प्रकार के खेल गतिविधियां यहां संचालित हो सकेंगी। निशक्त बच्चों के लिए स्टेडियम में इनडोर और आउटडोर खेलों की व्यवस्था रहेगी।

मप्र की उपलब्धियों पर की तारीफ

केंद्रीय मंत्री ने मप्र में किए जा रहे कार्यों की सराहना की। मप्र ट्रांसजेंडर को पहचान पत्र देने वाला पहला राज्य बन गया है। भोपाल में सबसे पहले पहचान पत्र वितरित हुए। अब तक किसी ट्रांसजेंडर के पास व्यक्तिगत आइडी नहीं होती थी। उनके आधार, वोटर कार्ड आदि दस्तावेज होते थे लेकिन अलग से ट्रांसजेंडर की आइडी नहीं होती थी। पहली बार भोपाल में इसकी शुरुआत हुई थी।

इन मुद्दों पर भी हुई चर्चा

केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ बैठक में इन दो बड़े मुद्दों के अलावा प्रदेश के 25 जिलों के जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के प्रस्ताव, 26 संस्थाओं के दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना के प्रस्ताव, 10 जिलों में एडिप योजना अंतर्गत प्रस्ताव और 12 संस्थाओं की एजीपी योजना अंतर्गत प्रस्ताव पर भी चर्चा की। उन्होंने दिव्यांगों को पहचान पत्र, किन्नरों के लिए भी योजनाओं पर चर्चा की।

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