भोपाल । वर्तमान में कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल की ओपीडी में एक हजार से ज्यादा मरीज नहीं देखने का निर्णय लिया गया है। मालूम हो कि अभी एम्स में मरीजों की लंबी कतार लग रही है। मरीजों को पहले बाहर लाइन में लगना पड़ता है। इसके बाद पर्चा बनवाने के लिए कतार में लगना पड़ता है। कोरोना संक्रमण कम होने और लॉकडाउन खत्म होने की वजह से यहां प्रदेशभर से मरीज आ रहे हैं, लेकिन ओपीडी में संख्या सीमित किए जाने की वजह से सभी का इलाज नहीं हो पा रहा है। मालूम हो कि एम्स में 14 जून से गैर-कोरोना मरीजों के लिए इमरजेंसी सुविधाएं शुरू कर दी गई थीं। इसके एक हफ्ते बाद से ओपीडी भी शुरू कर दी गई। लोगों को ओपीडी शुरू होने की जानकारी मिली तो यहां मरीजों की संख्या बढ़ने लगी। ऐसे में मरीज व स्वजन को एक-दूसरे से संक्रमित होने का खतरा नहीं रहे, इसलिए सिर्फ एक हजार मरीज ही हर दिन देखने का निर्णय लिया गया है।
इसमें नए और पुराने दोनों तरह के रोगी शामिल हैं। बता दें कि पिछले साल कोरोना संक्रमण के पहले एम्स की ओपीडी में हर दिन 2600 से 3000 मरीज आ रहे थे। उस समय एम्स में फैकल्टी की संख्या 150 थी। अब चौथे चरण की भर्ती के बाद यहां पर 210 फैकल्टी हो गए हैं। इस लिहाज से एम्स की ओपीडी में हर दिन चार हजार से ज्यादा मरीज देखने की क्षमता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते एक चौथाई मरीज ही देखे जा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन ने यह भी तय किया है कि 30 फीसद यानी 300 लोगों को ऑनलाइन अपाइंटमेंट लेने की सुविधा रहेगी। हालांकि, अभी इतने लोग भी ऑनलाइन अपाइंटमेंट नहीं ले रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन चाहता है कि ज्यादातर मरीज ऑनलाइन अपाइंटमेंट लें तो अस्पताल में भीड़ कम होगी। इस बारे में एम्स अधीक्षक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते फिलहाल हर दिन एक हजार मरीज देखने का निर्णय लिया गया है। कोरोना मरीजों के लिए 200 बिस्तर आरक्षित कर, बाकी करीब 700 बिस्तर आम मरीजों के लिए उपलब्ध हैं।