भोपाल । मप्र की तर्ज पर उत्तरप्रदेश सरकार अपने यहां भी अनाज भंडारण करना चाहती है। भंडारण की आधुनिक तकनीक समझने के लिए उत्तरप्रदेश सरकार ने दो सदस्यीय दल मध्यप्रदेश भेजा था। दल के सदस्यों ने सीहोर में स्टील साइलो और बीना में ककून तकनीक का बारीकी से अध्ययन किया है। दोनों सदस्यों को गेहूं भंडारण के लिए ककून तकनीक बेहद पसंद आई है। अधिकारी इसकी रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेंगे। आने वाले दिनों में यूपी सरकार ककून तकनीक से अनाज भंडारण करा सकती है।
मप्र में गेहूंं भंडारण तकनीक देखने आए यूपी स्टेट वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन झांंसी के क्षेत्रीय प्रबंधक जयसिंह और तकनीकी सहायक राजेश अग्रवाल सबसे पहले सीहोर पहुंचे। सीहोर में उन्होंने स्टील साइलो तकनीक के बारे में समझा। स्टील साइलो बैग में अनाज भंंडारण की तकनीक समझने के बाद उन्होंने कंपनी के अधिकारियों से भंडारण में आने वाले खर्चों पर चर्चा की। अधिकारियों ने इसकी बिंदुबार जानकारी जुटाई है। सीहोर के बाद दोनों अधिकारी ककून तकनीक समझने के लिए बीना पहुंचे। स्टेट वेयर हाउस बिहरना में ककून समझने के लिए अधिकारी करीब दो घंटे निरीक्षण करते रहे। निरीक्षण के दौरान ककून डायरेक्टर तेजेंद्र शेट्टी ने उन्होंने बिंदुबार ककून तकनीक की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ककून में प्राकृतिक तरीके से गेहूं का भंडारण किया जाता है। खर्च शून्य रहता है। इसके अलावा यह सस्ती होने के साथ-साथ किसी भी मौसम में कहीं भी भंडारण किया जा सकता है।
खुले में किया जा सकता है भंंडारण
ककून तकनीक की खासियत यह है कि ठंड, बारिश और गर्मी के मौसम में खुले आसमान के नीचे ककून बैग में गेहूं का भंडारण किया जा सकता है। बिना किसी केमिकल छिड़काव के पांच साल तक गेहूं पूरी तरह सुरक्षित रहता है। इसके अलावा गेहूं का क्वालिटी पर भी किसी तरह असर नहीं पड़ता। इसके अलावा ककून बैक की लाइफ 15 साल है। एक बाह बैग खरीदने के बाद इनका लगातार 15 साल उपयोग किया जा सकता है।
यह है ककून तकनीक
गेहूं भंडारण के लिए विशेष प्लास्टिक का बैग तैयार किया जाता है। 300 मीट्रिक टन क्षमता वाले इस बैग को समतल जमीन पर फैला दिया जाता है। इसमें गेहूं की बोरियों की छल्लियां लगाई जाती हैं। क्षमतानुसार गेहूं की बोरियां जमा होने पर ऊपर से दूसरा बैग डालकर एयर टाइट कर दिया जाता है। इसके बाद बारिश, गर्मी और ठंड का गेहूंं पर असर नहीं पड़ता।
इनका कहना है
मप्र में अनाज भंडारण की तकनीक देखने आए उत्तरप्रदेश के अधिकारियों को ककून तकनीक पसंद आई है। साइलो बैग तकनीक से भंडारण को लेकर भी अधिकारी संतुष्ट हुए हैं। अधिकारियों का कहना कि वह रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजेंगे। उम्मीद है कि उत्तरप्रदेश में दोनों तकनीक से भंडारण शुरू किया जाएगा।