भोपाल । कोरोना लॉकडाउन अनलॉक होने के बाद प्रदेश के अलग-अलग मार्गों पर चल रहीं बसों को आम दिनों की तरह यात्री नहीं मिल रहे हैं। इस वजह से बस यात्री को अपनी मंजिल तक पहुंचने में परेशानी का सामना करना पड रहा है। अनलॉक में धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही यात्री बस सेवा लोगों के लिए असुविधाजनक साबित हो रही है। भोपाल से इंदौर, सागर, बैतूल, जबलपुर सहित कई मार्गों पर यात्री बसें चलाई जा रही है लेकिन इन्हें पर्याप्त यात्री नहीं मिलने से नुकसान उठाना पड रहा है। अनलॉक में भी 25 फीसद से अधिक यात्री बसों में सफर नहीं कर रहे हैं। कोरोना के कारण लोग अब भी अपने निजी वाहनों से यात्रा कर रहे हैं। यात्री बसों में जो 25 फीसद यात्री आना-जाना कर रहे हैं, उन्हें आए दिन परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। कभी अधिक यात्री नहीं मिलने से बसें रद कर दी जाती हैं, जिससे टिकट बुक कराने के बाद भी यात्री गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
शहर के एक पत्रकार ने भोपाल से दमोह जाने के लिए 23 जून का टिकट सूत्र सेवा की बस से कराया। सीट नंबर मिलने के बाद समय से आधा घंटा पहले अंतरराज्यीय बस टर्मिनस (आइएसबीटी) पहुंच गए। देर रात तक इंतजार किया। पूछताछ की तो उन्हें बताया गया कि बस नहीं जा रही है। इसकी शिकायत सूत्र सेवा के कार्यालय में की तो पैसे वापस कर दिए गए। उक्त पत्रकार ने अधिवक्ता दीपक बुंदेले के जरिये सूत्र सेवा की शिकायत की है। बस नहीं जाने पर टिकट करने के कारण 90 हजार रुपये का मुआवजा देने का नोटिस भी भेजा है। इसी तरह अन्य निजी बसों में हो रहा है। यात्री कम मिलने से घाटे के कारण बसों का संचालन अचानक निरस्त कर दिया जाता है। इससे जिन लोगों ने टिकट कराए हैं, उन्हें परेशानी होती है। वहीं बसों का किराया बढ़ने से आम लोगों के लिए सफर भी महंगा हो गया है। भोपाल से इंदौर जाने का चार्टर्ड बस का किराया 350 रुपये था, जो अब 435 रुपये लिया जा रहा है। इसी तरह सामान्य बसों का किराया 300 रुपये तक पहुंच गया है। बसों के संचालन पर परिवहन विभाग की और से कोई अंकुश नहीं लगाया जा रहा है। इस बारे में आरटीओ संजय तिवारी का कहना है कि बसों का संचालन व्यविस्थत कराया जा रहा है। शिकायत मिलने पर तत्काल संबंधित बस मालिक व ट्रैवल एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई करते हैं। बसों की फिटनेस व परमिट निरस्त करने की कार्रवाई की जाती है।