भोपाल । मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्र के अधिकांश ट्रासफार्मर बूढ़े हो चुके हैं। इनका मेंटेनेंस भी नहीं किया जा रहा है। इस कारण फाल्ट व ट्रिपिंग के मामले बढ़ गए हैं। लेकिन कंपनी के अधिकारियों ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए दोष अब गिलहरियों पर मढऩा शुरू कर दिया है। फेल ट्रांसफार्मर का लोड दूसरों पर डायवर्ट किया जा रहा है। इससे लाइनें ट्रिप हो रही हैं। लाइनों पर घटिया इंसुलेटर व सामान का उपयोग किए जाने से वे बस्र्ट हो रही हैं। साथ ही पुराने ट्रांसफार्मर हांफ रहे हैं। इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि रात 11 बजे के बाद कभी भी बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है। उन इलाकों में ज्यादा समस्या बढ़ी है, जहां बिजली कंपनी को राजस्व मिलता है।
पिछले कुछ दिनों से शहर लो वोल्टेज व अघोषित बिजली कटौती से जूझ रहा है। हकीकत यह है कि भोपाल जिले में ही 24 घंटे में औसतन 20 बड़े फाल्ट हो रहे हैं और पांच से छह वितरण ट्रांसफार्मर फ्यूज हो रहे हैं। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि गर्मी बढऩे के बिजली गुल होन के मामले बढ़ रहे हैं। साथ ही गिलहरियों के कारण फाल्ट के मामले बढ़ रहे हैं। इस सीजन में लाइनों पर पांच सौ से अधिक गिलहरियों की मौत हुई है।
इन कारणों से जा रही है बिजली
अधिकारी बिजली गुल होने के चाहें जो कारण बताएं, लेकिन खासी संख्या में वितरण ट्रांसफार्मर फेल रखे हुए हैं। उनका लोड दूसरों पर डायवर्ट कर दिया गया है। इससे कभी भी बिजली गुल हो रही है। नई 33 केवी व 11 केवी लाइनों पर घटिया इंसुलेटर का उपयोग हुआ है। लोड आते ही वे बस्र्ट हो जाते हैं। एक इंसुलेटर बस्र्ट होने पर पूरी लाइन बंद करनी पड़ती है। पावर व वितरण ट्रांसफार्मर पुराने हो चुके हैं। इनके ऊपर लोड आने पर वे हांफने लगते हैं। नतीजा बिजली बंद हो जाती है। स्काडा के उपकरण लाइनों पर लगे हैं। यह काम नहीं कर सका। इसके उपकरण जो लाइनों पर लगे हैं, वह खराब हो रहे हैं। इससे बिजली बंद हो रही है। फाल्ट आने से बिजली जाने का कारण तलाशना मुश्किल हो रहा है।