कोरबा| कोरबा जिले में स्थित चोटिया खदान निरस्त करने की मांग प्रधानमंत्री से की गई है साथ ही जमा की गयी राशि राजसात करने की भी बात कही गई हैं। बताया गया हैं की भारत एलुमिनियम कंपनी लिमिटेड कोरबा को चोटिया -2 में कोयला निकालने के लिए खदान आबंटित किया गया हैं।
26 अक्टूबर 2015 को बालको के द्वारा खदान को शुरू कर दिया गया था । इसके लिए बालको ने उच्चत्तम बोली लगाई थी। अनुबंध के अनुसार प्रति वर्ष 12 लाख टन कोयला निकलना था। लेकिन बालको द्वारा पिछले एक वर्ष से खदान बंद कर अप्रैल 2020 से कोयला उत्खनन और परिवहन को बंद कर दिया गया है। जिसकी सूचना भी शासन को नहीं दी गई है। बालको द्वारा प्रस्तुत उच्चत्तम बोली के अनुसार बिड राशि, रॉयल्टी एवं डीएमएफ की राशि का प्रत्येक माह प्रति टन के हिसाब से किया जाना है। जो शासन को नहीं मिल रहा है। बिड प्राइस 3281.12 रुपये प्रति टन है। कोयला की रायल्टी G -8 की 245.98 रुपये प्रति टन एवं G -12 की 148.88 रुपये प्रति टन है। वही डीएमएफ की राशि रायल्टी का 10 प्रतिशत व पर्यावरण एवं विकास उपकरण 11.25 रुपए प्रति टन है। सभी का भुगतान नहीं किया जा रहा है। उत्खनन बंद होने से सरकार को 36 करोड़ रुपये प्रतिमाह राजस्व की हानि हो रही है।
वीरेन्द्र पाण्डेय ने पत्रकार वार्ता कर प्रधानमंत्री से बालको के चोटिया-2 खदान को निरस्त कर उसके द्वारा जाम की गई परफॉर्मेंस सुरक्षा निधि को राजसात करने की मांग की गई। वीरेन्द्र पांडेय का आरोप है कि इससे सरकार को हानि तो हो ही रही है बल्किबालको के द्वारा अनुबंध को भी तोड़ा गया है। बालको द्वारा खदान बंद करने का कारण कोविड-19 को बताया जा रहा है जबकि बालको के पावर प्लांट के साथ-साथ उनकी अन्य ईकाईया नियमित रूप से चल रही थी। न ही भारत सरकार के कोई उपक्रम बंद हुए थे। बालको अन्य खदानों से कोयला खरीदकर शासन को लगभग 425 करोड़ से अधिक की राजस्व की क्षति पहुंचाने के साथ-साथ लगभग 180 करोड़ रुपए की बचत भी कर ली है। यह मामला बहुत ही गंभीर है शासन को गंभीरता से इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।