वाशिंगटन । अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने चीन को बढ़ती हुई चुनौती बताकर अमेरिकी सांसदों से कहा कि बीजिंग के आक्रामक व्यवहार से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संकट पैदा हो सकता है। ऑस्टिन ने कहा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक बर्ताव को देखकर मुझे आशंका है कि कुछ ऐसा हो सकता है, इसकारण वहां संकट पैदा हो जाए।
हम चाहते हैं कि अपने सहयोगियों और साझेदारों तथा शत्रुओं या संभावित शत्रुओं से बात करने की क्षमता हमारे पास रहे, इसकारण मुझे लगता है कि सेना बल्कि सरकारी अधिकारियों के बीच भी संवाद की सीधी लाइन होनी चाहिए। ऑस्टिन ने कहा कि वे इस ग्रह का सबसे प्रभावशाली देश बनना चाहते हैं। उनका दीर्घकालिक लक्ष्य यही है। वे सेना सहित अनेक गतिविधियों में हमारे साथ प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं।चीन ने अमेरिका से अनुरोध किया है कि वह उसके साथ एक ‘‘काल्पनिक शत्रु’’ की तरह बर्ताव न करे। चीनी विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बीजिंग में कहा कि चीन अमेरिका के साथ अविवादित, बिना मुकाबले वाले, परस्पर सम्मान के तथा दोनों के लिए लाभदायक संबंध विकसित करना चाहता है, हालांकि इसके साथ ही वह अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास संबंधी हितों की भी मजबूती से रक्षा करेगा।’’
उल्लेखनीय है, कि चीन 10.3 लाख वर्गमील के लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर को अपना संप्रभु क्षेत्र बताता है। हालांकि अमेरिकी नौसेना के पोत अक्सर विवादित क्षेत्र से गुजरते हैं इसके लिए अमेरिका क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता पर जोर देता है। बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान सीनेटर एंगस किंग ने कहा कि आज अमेरिका के सामने सबसे गंभीर खतरा है चीन के साथ दुर्घटनावश संघर्ष, जिससे तनाव बढ़ने का जोखिम हो।
उन्होंने चीन को अमेरिका के लिए एक बढ़ती चुनौती बताकर कहा, यह बात मुझे परेशान करती है कि चीन के साथ हमारी कोई प्रभावी हॉटलाइन नहीं है। मैं समझता हूं कि चीन इसके लिए तैयार नहीं है लेकिन मेरा मानना है कि यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए। जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मीले ने कहा कि सेना के दृष्टिकोण से देखने पर अमेरिका के लिए चीन सबसे बड़ा खतरा है, वहीं रूस एक बड़ी प्रतिस्पर्धी ताकत है।