भोपाल । भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के अधिकारियों और कर्मचारियों ने रिश्वत की राशि कंस्ट्रक्शन और ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में निवेश करना प्रारंभ कर दिया था। इन्होंने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में कई स्थानों पर कारोबार में करोड़ों रुपये निवेश किए थे। इसका हिसाब-किताब और कारोबार से हुए मुनाफे में बंटवारे का जिम्मा क्लर्क किशोर मीणा के पास था। केवल पांच माह में 95 लाख रुपये एक कारोबारी को नकद दिए थे। सीबीआई को एफसीआई के कलर्क किशोर मीणा से मिली जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में 13 ठिकानों पर सीबीआइ ने छापे मारे थे। जिन स्थानों पर यह कार्रवाई की गई थी, वे विभिन्न् कारोबार से जुड़े लोग हैं। सूत्रों का कहना है कि हर काम के लिए बड़ी रकम रिश्वत के तौर पर ली जाती थी।यह राशि रिश्वत के संगठित गिरोह में सीधे देने के बजाय इसे कारोबारियों के माध्यम से निवेश किया जाता था। यह निवेश आरोपित अधिकारियों-कर्मचारियों के करीबी रिश्तेदारों या दोस्तों के नाम पर होता था। यहां से जो मुनाफा होता था, उसे ये लोग दस्तावेजों में हेरफेर करके कानूनी तौर पर वैध कमाई के तौर पर दिखाते थे। यह भी जानकारी मिली है कि कुछ आरोपितों ने कारोबारियों से हुए मुनाफे को रिश्तेदारों से उधार लेने के रूप में दिखाया है। सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ रिश्वतखोरी के आरोपितों के कुल निवेश की जानकारी जुटा रही है। इसके लिए कारोबारियों से भी पूछताछ की जा रही है। अनुमान के आधार पर निवेश की राशि करोड़ों रुपयों में हो सकती है। जैसे मीणा ने नवंबर, 2020 से मार्च 2021 के बीच 95 लाख रुपये का निवेश किया था। यह सीबीआइ के रिकॉर्ड में है। इसी के आधार पर माना जा रहा है कि हर साल दो से तीन करोड़ रुपये का निवेश आरोपित करते थे। पिछले तीन साल से रिश्वतखोरी जोरों पर थी। इसके अलावा व्यक्तिगत तौर पर भी जमीनें खरीदने के मामलों की जानकारी सामने आई है। सीबीआइ की गिरफ्त में अभी चार लोग आरोपित ही आए हैं, लेकिन कई वरिष्ठ अधिकारियों का हिस्सा अन्य कारोबार में लगा है। मालूम हो कि एफसीआइ के डिवीजनल मैनेजर हर्ष हिनोनिया, मैनेजर (अकाउंट) अरुण श्रीवास्तव, मैनेजर (सिक्यूरिटी) मोहन पराते और क्लर्क किशोर मीणा को एक लाख रुपये रिश्वत लेते हुए सीबीआइ ने गिरफ्तार किया था। यह कार्रवाई गुरुग्राम स्थित सुरक्षा एजेंसी कैप्टन कपूर एंड संस की शिकायत पर की गई थी। मीणा के घर से तीन करोड़ एक लाख रुपये नकद बरामद हुए थे। इसके बाद सीबीआइ ने मीणा को रिमांड पर लिया और पूछताछ की। उसके बाद सारे राज बाहर आ रहे हैं।