Home छत्तीसगढ़ बच्चों को कुपोषण और निमोनिया से बचाएगी ममत्व की गर्माहट

बच्चों को कुपोषण और निमोनिया से बचाएगी ममत्व की गर्माहट

21
0

नारायणपुर,। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिशानिर्देश पर वन क्षेत्रों में शिशुओं और छोटे बच्चों को कुपोषण तथा निमोनिया से बचाने  आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से गर्भवती तथा शिशुवती माताओं को कंबल वितरित किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ से कुपोषण मुक्ति के संकल्प को आगे बढ़ाने के लिए कई स्तरों पर काम किया जा रहा हैं। वनांचल और आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों में अधिक कुपोषण दर को देखते हुए इन क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाकर कुपोषण दूर करने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में नारायणपुर जिले के सभी 556 आंगनबाड़ी केन्द्रों में जून माह के पहले सप्ताह में कार्यकर्ताओं द्वारा आंगनबाड़ी आने वाले 0-6 वर्ष के सभी बच्चों को 15 हजार कम्बलों का वितरण किया जा रहा है। इसके साथ ही बच्चों के समुचित विकास और ठंड से बचाव के लिए पालकों को कंगारू मदर केयर की भी जानकारी दी जा रही है। बरसात के पहले कम्बल पाकर बच्चे और उनके अभिभावक बहुत खुश हैं।पालकों ने छत्तीसगढ़ सरकार का आभार जताते हुए अपनी खुशी जाहिर की है।वनांचल की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 में जिला प्रशासन द्वारा मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत कुपोषित बच्चों और शिशुवती तथा गर्भवती महिलाओं सहित कमजोर और एनीमिक महिलाओं को पौष्टिक भोजन प्रदान करने के साथ आंगनबाड़ी केन्द्रों में आने वाले 0-6 वर्ष के सभी 15 हजार बच्चों को कम्बल प्रदान करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए जिला खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) से 71 लाख रुपये की व्यवस्था की गयी और खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की वित्तपोषित संस्था द्वारा कम्बल उपलब्ध कराए गए।

    उल्लेखनीय है कि 2007 में बस्तर जिले से अलग होकर बना नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिला दंडकारण्य वन क्षेत्र का हिस्सा हैै। घने जंगलों और नदियों से घिरे इस क्षेत्र में गोंड, हल्बी, मारिया, मुरिया जैसी कई जनजातियां निवास करती हैं। जून के प्रथम सप्ताह से शुरू होकर शीत ऋतु के अंत तक यहाँ काफी ठण्ड पड़ती है। अधिक ठण्ड की वजह से ज्यादातर बच्चे इस अवधि में सर्दी जुकाम जैसी मौसमी बीमारियों से ग्रसित रहते हैं। ठण्ड की लम्बी अवधि का सामना आदिवासी समुदाय अंगीठी अथवा अलाव जलाकर करते हैंं। इनसे निकलने वाला धुंआ भी बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य को अधिक प्रभावित करता है। इस दौरान भोजन से मिलने वाली ऊर्जा शारीरिक विकास के बजाय शरीर को गर्म रखने में नष्ट हो जाती है। इन परिस्थितियों में बच्चे कुपोषण और निमोनिया के शिकार हो जाते हैं। आगामी बरसात और ठंड के पहले बच्चों को कम्बल वितरण की पहल से बच्चों में निमोनिया, कुपोषण और उससे होने वाली मृत्यु दर में कमी आएगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here