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आकाशगंगा ‎मिल्की वे ने खा लिया था गैलेक्सी गैया-इंसेलेडस को

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मैड्रिड । हमारी आकाशगंगा ‎मिल्की वे ने अपने से एक चौथाई आकार की गैलेक्सी गैया-इंसेलेडस को खा लिया था। यह घटना करीब 10 अरब साल पहले की है। इसके बाद आकाशगंगा का आकार हमेशा के लिए बदल गया। आकाशगंगा किसी और गैलेक्सी से टक्कर के बाद ऐसी बनी जैसी आज है, यह बात पहले से समझी जा चुकी है क्योंकि यह कोई दुर्लभ घटना नहीं है।

पहली बार आकाशगंगा के अलग-अलग हिस्सों के आधार पर वैज्ञानिकों ने उस काल का पता लगाया है जब यह टक्कर हुई थी। स्पेन के कैनरी आइलैंड ऐस्ट्रोफिजिक्स इंस्टिट्यूट के कार्मी गलार्ट और उनकी टीम की यह स्टडी है। गैया मिशन की मदद से सितारों के जन्म का नया डेटा मिला है जिसकी मदद से उनका एक मैप तैयार किया गया है। आकाशगंगा के एक जैसे क्षेत्रों से सितारे प्लॉट किए गए। इनमें दो अलग-अलग तरह के सितारे दिखे। कुछ ज्यादा लाल थे। माना गया कि ये ऐसी बड़ी गैलेक्सी में बने होंगे जिसमें ज्यादा धातु (हाइड्रोजन या हीलियम को छोड़कर दूसरे एलिमेंट को ऐस्ट्रोनॉमर धातु कहते हैं) रही हो। दूसरे सितारे ज्यादा नीले थे।

ये ऐसी छोटी गैलेक्सी में बने होंगे जहां धातु कमी रही हो। इनके साथ में मिले होने से यह संकेत मिलता है कि बड़ी गैलेक्सी छोटी गैलेक्सी से टकराकर उसमें मिल गई हो।  कुछ सितारे आकाशगंगा की डिस्क के ऊपर और नीचे चक्कर काट रहे हैं और एक संभावना है कि किसी ज्यादा ऊर्जा वाली घटना में ये इस स्पीड पर पहुंच गए हैं। सितारों की उम्र और गैलेक्सी के विकास के आधार पर ऐस्ट्रोनॉमर्स ने पाया है कि 3 अरब साल के लिए आकाशगंगा अपने आप में विकसित हो रही थी और फिर गैया-इंसेलेडस से टकरा गई।गैया की मदद से इसे लेकर बेहतर समझ विकसित हुई है। इससे पता चला है कि यह टक्कर 10 अरब साल पहले हुई थी।

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