भोपाल । प्रदेश में कोरोना अब कंट्रोल में है। लेकिन अब सियासी हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस ने अब मिशन 2023 पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने जिलों से फीडबैक लेना शुरू कर दिया है। जिन इलाकों में कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर रहा है, वहां पर कांग्रेस पार्टी फोकस कर रही है। कमलनाथ ने बीते दिनों उज्जैन, मैहर और मुरैना का दौरा कर पार्टी संगठन को मजबूत बनाने और 2023 के संभावित उम्मीदवारों को लेकर क्षेत्र की नब्ज टटोलने शुरू कर दिया है। कमलनाथ ने कोरोना संक्रमण के बाद अब जिला वार बैठक करने की तैयारी कर ली है।
कमलनाथ के तय कार्यक्रम के मुताबिक 8 और 9 जून को कमलनाथ छिंदवाड़ा में दौरा करेंगे। इस दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ सिवनी, मंडला, बालाघाट, बैतूल, छिंदवाड़ा समेत आधा दर्जन जिलों के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर संगठन की गतिविधियों को बढ़ाने और पार्टी को मजबूती देने को लेकर मंथन करेंगे। प्रदेश में अचानक से कमलनाथ की बढ़ी सक्रियता को लेकर अब यह कयास लगाए जाने जा रहे हैं कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने जहां पर चुकी थी उसमें अब सुधार करते हुए 2023 के चुनाव की तैयारी की जा रही है।
सत्ता में वापसी का लक्ष्य
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष कमलनाथ का एक मात्र लक्ष्य है 2023 में सत्ता में वापसी। इसके लिए वे अभी से प्रयास में जुट गए हैं। पार्टी प्रदेश में नए जोश के साथ काम करेगी। कोरोना की लहर थमते ही मिशन तेज किया जाएगा। पार्टी में अधिक से अधिक युवाओं को आगे लाया जाएगा। मतलब साफ है कि कमलनाथ अब 2018 के मुकाबले पार्टी को मजबूत बनाते हुए 2023 में पार्टी की वापसी की कोशिश में जुट गए हैं। यही कारण है जहॉ पार्टी कमजोर है, वहां कमलनाथ ने संगठन को मजबूत बनाने समेत उन जिलों पर भी फोकस करना शुरू कर दिया है जहां पार्टी भाजपा के मुकाबले कमजोर है।
भाजपा ने किया कटाक्ष
कमलनाथ के मिशन 2023 पर अभी से काम शुरू करने को लेकर भाजपा ने तंज कसा है। भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने कहा है कि कमलनाथ प्रदेश में युवा युवाओं के कैरियर की हत्या करने में लगे हैं। कमलनाथ को पार्टी के अंदर युवाओं को मौका देना चाहिए, लेकिन कमलनाथ की रीति नीति कांग्रेस पार्टी को बर्बाद करने खत्म करने में लगी हुई है। लोकेंद्र पाराशर ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी में अजय सिंह जैसे नेता अब मुखर होने लगे हैं मतलब साफ है कि कांग्रेस में बन रहे एकमात्र पावर सेंटर के खिलाफ अंतर कलह अब उभर कर सामने आ रही है। बहरहाल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा के मुकाबले में ज्यादा सीटें हासिल की थी लेकिन कांग्रेस का भाजपा के मुकाबले में वोट प्रतिशत कम था। यही कारण है की विधानसभा चुनाव के करीब ढाई साल पहले कमलनाथ ने पार्टी गतिविधियां बढ़ाने के साथ संगठन को मजबूती देने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। मतलब साफ है कि प्रदेश में 2023 के चुनाव के पहले की सियासी हलचल है अभी से नजर आने लगी है।