भोपाल । मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ संविदा नीति में बदलाव को लेकर न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी कर रहा है। संघ बिजली कंपनी में संविदा नीति 2018 में बदलाव को लेकर लगातार प्रयास कर रहा है लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल रहा है। संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव के द्वारा बताया गया है कि बिजली कंपनी के संविदा कर्मचारियों के लिए लागू नियम 2018 में संशोधन हेतु संगठन लगातार हर स्तर पर प्रयास कर रहा था। जिसके उपरांत संगठन के अधिवक्ता द्वारा वैधानिक नोटिस जारी कर अंतिम प्रयास किया गया था। 30 दिवस में यदि संविदा नीति 2018 में संशोधन नहीं किया गया तो न्यायालय की शरण में चले जाएंगे। जिस पर कंपनी प्रबंधन एवं सरकार द्वारा आज दिनांक तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। मालूम हो कि संविदा नीति 2018 में संशोधन हेतु मुख्य बिंदु एक हर तीन वर्ष के बाद तीन दिन का ब्रेक देकर अनुबंध समाप्त किया जावे एवं एक ही अनुबंध पर 60 वर्ष की उम्र तक कार्य कराया जावे। दूसरी संविदा कर्मचारियों के स्वास्थ्य, पेंशन ,बीमा, अनुकंपा नियुक्ति देने की जिम्मेदारी ली जाए। वहीं कंपनी संविदा कर्मचारियों को एक वर्ष में एक बार महंगाई भत्ता दिया जाता है उसे नियमित कर्मचारियों के अनुसार दो बार दिया जाए। इसके अलावा भी कई अन्य बदलाव नीति में आवश्यक है। कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी एवं ऊर्जा विभाग के द्वारा जानकारी ना देने पर न्यायालय की शरण में जाना चाहिए। इस आशय की मांग करने वालों में संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, एसके मौर्य, रमेश रजक, केएन लोखंडे, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, जेके कोष्ठा, शशि उपाध्याय, लखन राजपूत, ख्यालीराम, राम शंकर, रामसहाय राय, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, संजय वर्मा, सुरेंद्र मेश्राम, महेश पटेल, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, अमीन अंसारी, पीके मिश्रा, राजेश यादव आदि शामिल है।