Home मध्य प्रदेश कुपोषण दूर करने का जिम्मा संभालेगी अब ‘पोषण सरकार’

कुपोषण दूर करने का जिम्मा संभालेगी अब ‘पोषण सरकार’

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भोपाल । प्रदेश के बच्चों में कुपोषण दूर करने का ‎‎जिम्मा अब ग्राम स्तर पर गठित होने वाली ‘पोषण सरकार” संभालेगी।  यह पोषण सरकार पंच, सरपंच सहित सरकारी कर्मचारियों की देखरेख में काम करेगी। यह सरकार पोषण आहार, दवा वितरण, टीकाकरण एवं अन्य कामों की निगरानी करेगी। यह व्यवस्था प्रदेश की पोषण नीति 2020 में की गई है, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इसी के साथ प्रदेश जनता की भागीदारी एवं लक्ष्य आधारित पोषण नीति बनाने वाला देश में पहला राज्य बन गया है।महिला एवं बाल विकास विभाग ने नीति में वर्ष 2030 तक प्रदेश से कुपोषण समाप्त करने का लक्ष्य रखा है जिसकी हर दो साल में समीक्षा की जाएगी। नीति में कुपोषण के कारणों को दूर करने पर विशेष ध्यान दिया है। वहीं जिन परिवारों में कुपोषण पीढ़ी-दर-पीढ़ी समस्या बना हुआ है, उस चक्र को तोड़ा जाएगा। नीति में आदिवासी बहुल इलाकों के ज्यादा कुपोषण वाले क्षेत्रों के लिए अलग से व्यवस्था करने का प्रविधान है। राज्य स्तर पर हर दो साल और विभाग स्तर पर हर साल नीति की समीक्षा की जाएगी, तो कलेक्टर के लिए डेशबोर्ड बनाया जाएगा, जिसमें यह व्यवस्था रहेगी कि कलेक्टर जिले के अलग-अलग क्षेत्रों की कुपोषण की स्थिति देख सकें। ताकि जहां स्थिति खराब हो, वहां तत्काल कार्रवाई की जा सके। स्थानीय स्तर पर पोषण के उपलब्ध विकल्पों (सुरजना, कोदों-कुटकी, ज्वार, मक्का, बाजरा, स्थानीय फसल, फल और वन कंद) पर भी पोषण सरकार ही निर्णय लेगी। इन्हें कुपोषित बच्चों और महिलाओं के परिवारों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। नीति में स्थानीय समुदाय विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाने को प्राथमिकता दी गई है। कोरोना जैसी महामारी की स्थिति में पोषण देखभाल की पहल की जाएगी। पोषण सरकार में शामिल पंच-सरपंच, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, शौर्यदल, मातृ समिति और कुपोषित बच्चों की माताओं को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।  प्रदेश में मातृ मृत्यु दर 173 प्रति एक लाख है, जिसे घटाकर 70 पर लाना है। बाल मृत्यु दर 56 प्रति हजार है, जिसे घटाकर 25 पर लाना है। एनीमिया के 53.2 फीसद मामले सामने आ रहे हैं, जिन्हें घटाकर 25 फीसद पर लाना है। लैंगिक समानता और बाल विवाह समाप्त करना है। अल्पपोषण और मोटापे से जूझ रहे लोगों की मदद करना है। इस बारे में महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव अशोक शाह का कहना है ‎कि ऐसी नीति बनाने वाला प्रदेश पहला राज्य है। नीति का गंभीरता से क्रियान्वयन किया जाएगा जिसमें समाज के हर वर्ग की मदद ली जाएगी।

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