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पांच साल में 56 फीसदी महंगा हुआ सिलेंडर, सब्सिडी भी तीन गुना से ज्यादा घटी

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भोपाल । पांच साल पुरानी उज्ज्वला स्कीम बंद होने के कगार पर है। जो लोग कनेक्शन ले चुके हैं, उनमें से 75 फीसदी अब सिलेंडरों की री-फिलिंग नहीं करा रहे हैं। एजेंसी संचालक इसका कारण सिलेंडर की कीमतों में 56 फीसदी वृद्धि, सब्सिडी में तीन गुना से ज्यादा गिरावट और डेढ़ साल के कोरोना काल में काम धंधे खत्म होने को मान रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में स्थिति सर्वाधिक खराब है। यहां पर बुकिंग लगभग बंद है। ग्रामीण इलाकों के परिवार फिर पहले की तरह घरेलू चूल्हे पर लकड़ी से खाना पका रहे हैं।

1 मई 2016 को शुरू हुई उज्ज्वला योजना के तहत मप्र में 71,79,224 कनेक्शन हैं। पिछले कुद माह से इनमें से करीब 75 फीसदी ग्राहक बुकिंग ही नहीं करा रहे हैं। एजेंसियों के अनुसार शहरी क्षेत्र में कुछ डिमांड है पर ग्रामीण क्षेत्रों में बुकिंग पर इससे भी अधिक असर आया है। वहीं कोरोना कफ्र्यू के कारण बाजार बंद होने से भी एलपीजी की मांग घटी है।

पांच महीने में बुकिंग के आंकड़े

0 से 1 सिलेंडर लेने वाले 50 फीसदी

2 सिलेंडर लेने वाले ग्राहक 35 फीसदी

2 से अधिक सिलेंडर लेने वाले 15 फीसदी

ऐसे समझें कीमत के अंतर को

केंद्र सरकार ने 1 मई 2016 को उज्ज्वला स्कीम चालू की, तब सिलेंडर का रेट 656.50 रुपए था और ग्राहक के खाते में सब्सिडी 185.16 रुपए आ रही थी। उक्त स्कीम में तीन महीने सिलेंडर फ्री दिए गए। वर्तमान में सिलेंडर का रेट 893 रुपए है और सब्सिडी 57.71 रुपए आ रही है।

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