भोपाल । स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सा विशेषज्ञों के 25 फीसद पदों पर सीधी भर्ती करने के प्रविधान से बवाल मच गया है। स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत स्नातकोत्तर चिकित्सा अधिकारियों (पीजीएमओ) ने साफ शब्दों में कहा है कि सीधी भर्ती में उनसे कनिष्ठ लोग उनके ऊपर बैठ जाएंगे। ऐसे में सरकार का यह निर्णय बेहद अनुचित है। मध्य प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ भी इन डॉक्टरों के पक्ष में है। संघ ने कहा है कि सरकार ने अगर निर्णय नहीं बदला तो चरणबद्ध आंदोलन पूरे प्रदेश में शुरू किया जाएगा। बता दें कि दो दिन पहले ही कैबिनेट में निर्णय लिया गया है कि विशेषज्ञों के 25 फीसद पदों पर सीधी भर्ती की जाएगी। बाकी पद पदोन्नति से भरे जाएंगे। अभी तक सभी पद पदोन्नति से भरे जा रहे थे। प्रदेश मे करीब 900 स्नातकोत्तर चिकित्सा अधिकारी कार्यरत हैं, जबकि चिकित्सा विशेषज्ञों के करीब 2600 पद खाली हैं। ऐसे में चिकित्सा अधिकारी संघ की मांग है कि पहले रिक्त पदों पर पीजीएमओ की पदोन्नति की जाए। इसके बाद बचे पदों पर विशेषज्ञों की सीधी भर्ती की जाए। पीजीएमओ ने बताया कि उन्हें चिकित्सा अधिकारी के तौर पर काम करते हुए 15 से 20 साल हो गए हैं, लेकिन विशेषज्ञ के पद पर पदोन्नत नहीं किया गया है। अलग-अलग विशेषज्ञता में पदोन्नति में कम-ज्यादा समय लगता है। नेत्र रोग विभाग और हड्डी रोग विभाग में कई पीजीएमओ 20 साल बाद भी पदोन्नत नहीं हो पाए हैं। अब सीधी भर्ती शुरू होने पर उनका हक मारा जाएगा। हालांकि, लोक सेवा आयोग से होने वाली विशेषज्ञों की सीधी भर्ती में पीजीएमओ भी शामिल हो सकेंगे, लेकिन यह तय नहीं है कि उनका चयन होगा या नहीं। चयन होने पर भी वरिष्ठ होने के बावजूद वह नए विशेषज्ञ के बराबरी में ही रहेंगे। बता दें कि पीजीएमओ और विशेषज्ञ में काफी फर्क होता है। उसी विषय में पीजी होने के बाद भी पीजीएमओ तब तक सर्जरी नहीं कर सकते, जब तक कि उनके साथ कोई विशेषज्ञ न हो।-पीजीएमओ को इमरजेंसी ड्यूटी भी करनी पड़ती है, जबकि विशेषज्ञ इससे मुक्त रहते हैं।वेतन भत्ते और आगे की पदोन्नति में भी पीजीएमओ को नुकसान होता है। इस बारे में मध्य प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ के अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र गोस्वामी का कहना है कि पहले से कार्यरत पीजीएमओ में सभी को पदोन्नत कर देना चाहिए। इसके बाद ही सीधी भर्ती के संबंध में कोई निर्णय लिया जाना चाहिए था। संघ ने इस संबंध में मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर विरोध जताया है। मांग नहीं मानी जाती तो चरणबद्ध आंदोलन का निर्णय लिया जाएगा।