भोपाल । प्रदेश के 136 एमबीबीएस डॉक्टर अनिवार्य ग्रामीण सेवा बांड भरने के बाद भी न तो वह सेवा दे रहे हैं, न ही बांड की राशि जमा कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेजों से इस साल निकले ऐसे डिग्रीधारी डॉक्टरों को चिन्हित किया गया है। इनका मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल से डॉक्टरी का पंजीयन निरस्त करने की तैयारी की जा रही है। काउंसिल ने इन्हें आखिरी नोटिस दिया है। इसके बाद भी अगर बांड की राशि जमा नहीं की और न ही सेवा ज्वाइन की तो अगले महीने पंजीयन निरस्त कर दिया जाएगा। जिन डॉक्टरों को नोटिस जारी किया गया है उनमें इंदौर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज के 50 डॉक्टर, गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के 44 डॉक्टर, जबलपुर के 14, ग्वालियर के 24 डॉक्टर शामिल हैं। इनसे एमबीबीएस में प्रवेश के दौरान बांड भरवाया गया था। इसमें या तो उन्हें एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा करनी थी या फिर बांड में दी गई राशि उन्हें शासन को जमा करनी थी। आरक्षित वर्ग के लिए यह राशि तीन लाख और अनारक्षित वर्ग के लिए पांच लाख रुपए है। बता दें कि पहले हर साल ऐसे डॉक्टरों की संख्या 30 से 40 फीसद होती थी जो न तो बांड की राशि जमा करते थे और न ही सेवा देते थे। दो साल पहले तत्कालीन प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा शिव शेखर शुक्ला ने उन पर सख्ती की। लिहाजा अब यह डॉक्टर मजबूरी में ज्वाइन करने के लिए आ रहे हैं। मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. आरके निगम ने बताया किसभी संबंधित चिकित्सा महाविद्यालयों को ऐसे छात्रों को नोटिस जारी करने को कहा गया है। कॉलेजों से सूची बनने के बाद पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी। मालूम हो कि कोरोना कॉल में कुछ डॉक्टर मरीजों के इलाज के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जो कोरोना के डर से सेवा देने से बच रहे हैं। राज्य सरकार ने ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का मन बना लिया है।