म्यांमार। म्यांमार की 32 साल की ब्यूटी क्वीन तार तेत तेत ने भी अब सेना के खिलाफ बगावत कर दिया है। वह भी अब सेना के खिलाफ जंग में स्थानीय समूहों के साथ जुड़ गई हैं। तार तेत तेत ने असॉल्ट राइफल के साथ अपनी तस्वीरें ट्वीट की हैं। उन्होंने ट्वीट में अपनी तस्वीरों के साथ लिखा है, ‘हमें जरूर जीतना होगा।’ यही वही तार तेत हैं जिन्होंने ब्यूटी कंटेस्ट के दौरान भी सेना के कथित अत्याचारों पर भाषण के जरिए पूरी दुनिया का ध्यान अपने देश के खराब हालातों पर खींचा था।
उन्होंने कहा है कि वो तब तक लड़ती रहेंगी, जब तक लड़ सकेंगी। उन्हें जान की भी कोई परवाह नहीं है। उन्होंने लिखा है, ‘एक बार फिर से लड़ने का समय वापस आ गया है। चाहे आप एक हथियार, कलम, कीबोर्ड रखें या लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के लिए पैसे दान करें। हर किसी को सफल होने की कोशिश करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा, मैं जितना कर सकती हूं, मैं संघर्ष जारी रखूंगी। मैं सबकुछ छोड़ने के लिए तैयार हूं। मैं अपना जीवन भी बलिदान करने के लिए तैयार हूं।’ हालांकि, तार तेत तेत ने इसके बाद ज्यादा अधिक जानकारी नहीं दी। माना जा रहा है कि उनकी अपील के बाद सेना के खिलाफ लड़ाई में काफी लोग स्थानीय समूहों से जुड़ सकते हैं। तार तेत तेत ने आठ साल पहले एक 60 प्रतियोगियों को पीछे छोड़ते हुए खिताब अपने नाम किया था। फिलहाल वह जिमनास्टिक की ट्रेनिंग देती हैं। म्यांमार में गृहयुद्ध जैसे हालात हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 10 मई तक कम से कम 782 लोग मारे गए हैं। म्यांमार के सुरक्षा बल लगातार अपनी ही जनता का कत्लेआम कर रहे हैं। दुनियाभर की चिंता के बाद भी म्यांमार की सेना क्रूर दमन जारी है। म्यांमार में इस जंग जैसे हालात के बीच हजारों लोग पड़ोसी देशों थाइलैंड और बांग्लादेश की ओर भाग गए हैं। म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद देश की सर्वोच्च नेता आंग सांग सू की को अरेस्ट कर लिया गया है। म्यांमार की सेना के शीर्ष सैन्य कमांडर सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग देश की सत्ता चला रहे हैं। जनरल मिन रिटायरमेंट की कगार पर हैं और विश्लेषकों का मानना है कि वह एक साल बाद होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में ताल ठोक सकते हैं। सेना ने यह कहकर तख्तापलट को सही ठहराया है कि सरकार चुनाव में धोखाधड़ी के उसके दावों पर कार्रवाई करने में नाकाम रही है। पूर्वोत्तर भारत से सटे म्यांमार में एक बार फिर से सैन्य उठापटक के बाद भारत सरकार की पूरे घटनाक्रम पर पैनी नजर बनी हुई है। भारत या तो आंग सांग सू की का साथ दे सकता है या उनके खिलाफ जा सकता है। म्यांमार में यह सैन्य उठापटक से पहले गत वर्ष अक्टूबर महीने में भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रंगला और सेना प्रमुख एमएम नरवणे म्यांमार गए थे।