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कोरोना ने बदली हिंदू परंपरा, अब दफन हो रहे शव

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A man in protective suit digs earth to bury the body of a person who died of COVID-19 in Gauhati, India, Sunday, April 25, 2021. Delhi has been cremating so many bodies of coronavirus victims that authorities are getting requests to start cutting down trees in city parks, as a second record surge has brought India's tattered healthcare system to its knees. (AP Photo/Anupam Nath)

कानपुर । कोरोना महामारी से लोगों के मरने की संख्या तेजी से बढ़ी है। हालात ये हैं कि श्मशान घाटों पर अब चिताओं के लिए लकडिय़ां कम पडऩे लगी हैं। मजबूरन लोगों को हिंदू रीति-रिवाज और परंपरा छोड़कर शवों को दफन करना पड़ रहा है। ऐसे ही कई मामले कानपुर-उन्नाव के गंगा किनारे देखने को मिले। गंगा किनारे घाट पर अब तक एक हजार से ज्यादा शवों को लोग दफन कर चुके हैं। वो भी महज 3 फीट की गहराई में। कानपुर और उन्नाव के शुक्लागंज में गंगा किनारे का हाल काफी डरावना हो गया है। यहां हर दूसरे कदम पर एक शव को दफन किया गया है। अगर गंगा का जलस्तर थोड़ा भी बढ़ा तो सैकड़ों-हजारों शव बहते हुए नदी में मिल जाएंगे। कुछ लोग तो इससे संक्रमण बढऩे का भी खतरा बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर इन लोगों की मौत कोरोना से हुई होगी और इनके शव नदी में बहेंगे तो इसका गंभीर असर आम लोगों पर पड़ेगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि करोड़ों लोगों के घर गंगा का पानी ही सप्लाई होता है।

सस्ता पड़ता है दफन करना

गंगा किनारे शवों को दफन करने वालों ने बताया कि शवों को चिता पर आग देने की अपेक्षा दफन करना ज्यादा सस्ता पड़ रहा है। इसलिए भी बड़ी संख्या में लोग शवों को दफन करके चले जा रहे हैं। इन लाशों को दफन करने के साथ ही कब्र में नमक भी डाल दिया जाता है। लाशों को दफन करने वाले लोग घाट किनारे मचान बनाकर बैठे रहते हैं।

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