Home मध्य प्रदेश कहीं नकली इंजेक्शन से तो नहीं बढ़ा मप्र में मौत का आंकड़ा

कहीं नकली इंजेक्शन से तो नहीं बढ़ा मप्र में मौत का आंकड़ा

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भोपाल । असली रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी तक तो ठीक था, लेकिन इसी बीच पिछले दिनों सैकड़ों नकली इंजेक्शन भी बाजार में खपा दिए गए। कहीं ऐसा तो नहीं कि नकली इंजेक्शन से ही मप्र में मौत का आंकड़ा बढ़ा हो?

जिस तरह से पुलिस रोज खुलासे कर रही है, उसमें चिंता की एक बड़ी बात सामने आई है और वह है नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का होना। अप्रैल मध्य में जब कोरोना के केस बढ़ते जा रहे थे तब अस्पतालों में इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो रहे थे और न ही डीलर के यहां पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन पहुंच रहे थे।  इसी बीच नकली इंजेक्शन बनाने वालों की चल निकली और पुलिस जांच में सामने आया कि नमक और ग्लूकोज से ये इंजेक्शन बनाए जा रहे थे। पीथमपुर, हिमाचल प्रदेश और सूरत से लिंक निकालकर पुलिस मानवता के दुश्मनों तक तो पहुंच गई, लेकिन बाजार में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का आना एक बड़ा सवाल खड़ा कर गया। आम लोग इंजेक्शन पहचान नहीं पाते और हो सकता है कि उन्होंने इन्हें असली मान खरीदकर अपने मरीजों को पहुंचाए होंगे और अस्पताल में उन्हें लगा भी दिए गए होंगे। पुलिस सख्ती से पूछताछ करे तो पता चलेगा कि कितने इंजेक्शन बाजार में बिक गए। वहीं कई मामलों में तो इंजेक्शन लगाने के बाद मरीज को हार्ट अटैक जैसी समस्या आई और उनकी मौत हो गई।

पोस्टमार्टम होता तो पता चलता

कोविड मरीजों की मौत के बाद सीधे उनका दाह संस्कार करना होता है। अगर शवों का पोस्टमार्टम किया जाए तो पता लगेगा कि मरीज की मौत किस कारण से हुई। हालांकि स्वास्थ्य विभाग मौत के आंकड़ों को छोड़कर बाकी मौतें विभिन्न कारणों से ही होना बताता आया है।

मप्र में 1200 नकली रेमडेसिविर की डिलीवरी

गुजरात के सूरत में नकली रेमडेसिविर बनाने का बड़ा कारखाना चल रहा था। इंदौर और सूरत पुलिस की कार्रवाई में यह खुलासा हुआ है। सूरत पुलिस ने एक फार्महाउस पर छापा मारा, जहां नकली इंजेक्शन बनाया जा रहा था। गिरोह का मुख्य सरगना कोशल वोहरा को गिरफ्तार किया है। कोशल से ही आरोपी सुनील मिश्रा इंजेक्शन लेता था। उसने 12 सौ इंजेक्शन की सप्लाई मप्र में की है। 1 हजार इंजेक्शन इंदौर और 200 जबलपुर में बेचे गए हैंं, जबकि गिरोह ने पूरे देश में 5 हजार नकली रेमडेसिविर बेची है। वह इंजेक्शन किस-किस को दिए और कितने रुपए में दिए इसकी जांच अभी पुलिस कर रही है।

स्टीकर मुंबई से प्रिंट करवाकर लाए थे

गिरोह ने पूछताछ में बताया इंजेक्शन की शीशी पर चिपकाने के लिए नकली स्टीकर उन्होंने मुंबई से प्रिंट करवाए थे। गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी बिहार और महाराष्ट्र के हैं। पुलिस ने अभी आरोपियों के नाम का खुलासा नहीं किया है। इस बारे में पुलिस का कहना है कि इनके तार गुजरात के अन्य शहरों से भी जुड़े हैं और सभी जगह छापेमारी की जा रही है।

हवाला से भेजता था रुपए

आरोपी ने पूछताछ में बताया कि अब तक वह 15 लाख हवाले के माध्यम से गुजरात भेज चुका है और लगातार इंजेक्शन की डिमांड बढऩे के बाद देश के कई जगह इसकी सप्लाई की गई है। आरोपी लंबे समय से गुजरात से इंदौर सड़क मार्ग से इंजेक्शन लाता ले जाता था। गाड़ी पर आपातकालीन सेवा लिखवा रखा था। इसी कारण उसे सीमा पर इसी प्रकार से रोक तो नहीं की जा रही थी।

1700 का नकली इंजेक्शन 35 से 40 हजार का

आरोपियों ने पुलिस को यह भी बताया कि सूरत की फैक्टरी से जो इंजेक्शन 1700 में मिलता था, जिसके बाद वह अपनी नीचे की चेन को देते थे। मप्र में इंजेक्शन सुनील मिश्रा सूरत से लेकर आता था। वह और असीम भाले को देता था और असीम भाले वह इंजेक्शन 14 हजार में धीरज और अन्य आरोपियों को देता था। इसके बाद इंजेक्शन को 35 से 40 हजार में मार्केट में बेचते थे।

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