भोपाल ।
मोह में उपचुनाव में हार को लेकर भाजपा में दर्द और कलह खुलकर सामने आ गई है। यहां कांग्रेस कैंडिडेट अजय टंडन ने 17089 वोटों से भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह को हरा दिया है।भाजपा उम्मीदवार राहुल सिंह के पूर्व मंत्री मलैया पर निशाना साधने के बाद अब गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी हार के लिए अंदरूनी कलह को वजह बताया है। यह भी खबर आ रही है कि केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने एक पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को लिखा था। उन्होंने इसमें जयंत मलैया समेत कई नेताओं के खिलाफ शिकायत की थी।
नरोत्तम मिश्रा ने सोमवार को कहा कि दमोह हम हारे हैं अपने जयचंदों से। हालांकि उन्होंने अपनी हार की जगह कांग्रेस पर ज्यादा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ज्यादा खुशी न मनाए कांग्रेस। कमलनाथ का ध्यान वहां नहीं जा रहा है, जहां पूरे देश से कांग्रेस साफ हो गई है। कांग्रेस अब कहीं नहीं है। उन्हें पता होना चाहिए कि उनका शीर्ष नेतृत्व ऐसा है कि वे कहीं नहीं जीतने वाले। हम बंगाल में 3 से बढ़कर 76 हो गए। भाजपा का सभी राज्यों में वोट शेयर बढ़ा है। मोदी जी के नेतृत्व में वोट परसेंटेज बढ़ रहा है। उन्होंने ममता बनर्जी पर भी तंज कसा है।
बंगाल में नौटंकी जीत गई, राष्ट्रवादी हार गए
उन्होंने कहा कि बंगाल में नौटंकी जीत गई, राष्ट्रवादी हार गए। हड्डी जुडऩे का यह नया तरीका देखा। परिणाम आने के बाद दीदी खड़ी हो गई।
उपचुनाव में भाजपा ने लगाया था पूरा दमखम
दमोह उपचुनाव जीतने के लिए भाजपा ने अपना पूरा दमखम लगा दिया था। दमोह में भाजपा ने जीत के लिए दो मंत्रियों भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव को चुनाव प्रभारी बनाया। इसके साथ ही संगठन की ताकत भी झोंक दी। मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, 20 कैबिनेट मंत्री, 5 सांसद समेत 50 से ज्यादा विधायकों को लगाया गया, फिर भी हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह दमोह में करीब एक महीने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, सह संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा व आशुतोष तिवारी समेत तीन संगठन मंत्रियों को भी लगाया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सात बार गए। प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव दो दिन रहे। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गए और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने भी डेरा डाला। इसके अलावा मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी समेत कई मंत्री पहुंचे। चौधरी को तो कोरोना रोकथाम की तैयारी में जुटना था, लेकिन वे दमोह में डंटे रहे। असम चुनाव से लौटने के बाद संगठन महामंत्री सुहास भगत भी गए, मगर जीत की राह नहीं बन पाई।