भोपाल । प्रदेश के ग्वालियर के कमलाराजा अस्पताल (केआरएच) में शनिवार को आक्सीजन की कमी से महिला की मौत हो गई। इसके बाद महिला के परिजनों ने जमकर हंगामा किया। इससे नाराज जूनियर डाक्टरों ने काम बंद कर डीन ऑफिस में धरना दे दिया और सुरक्षा की मांग की। इस विवाद के कारण एक अन्य मरीज की भी अनदेखी के चलते मौत हो गई। हंगामे और जूड़ा के धरने की खबर सुनकर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर जीआर मेडिकल कालेज पहुंचे और डाक्टरों को सुरक्षा देने पुलिस बल तैनात करने के निर्देश भी दिए। हंगामे के चलते वार्ड से स्टाफ नर्स भी जान बचाकर भाग खड़ी हुईं। हालांकि दो घंटे बाद स्टाफ नर्स तो वापस काम पर लौट गईं पर मेडिसिन के जूनियर डाक्टर अस्पताल प्रबंधन व प्रशासन से पूर्ण सुरक्षा का आश्वासन मिलने के बाद ही काम पर लौटे, लेकिन तब तक दो अन्य मरीजों की जान भी जा चुकी थी तो कुछ मरीज के अटेंडेंट अपने मरीजों को निजी अस्पताल लेकर चले गए। पूरे घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें जूनियर डाक्टर पुरुष व महिला अटेडेंट के साथ मारपीट करते दिखाई दे रहे हैं। साथ ही कुछ डाक्टर लाठी डंडे लेकर वार्ड में घूमकर पूछ रहे और किसी को ऑक्सीजन चाहिए अब किसी को इलाज नहीं मिलेगा,जिसे जो करना है वह कर ले। इस दौरान पुलिस भी वहां पर मौजूद थी। जयारोग्य अस्पताल समूह के केआरएच के जनरल वार्ड में जूनियर डाक्टर फराज आदिल और डा. कामना तिवारी की ड्यूटी थी। डाक्टरों ने बताया वार्ड में ऐसे मरीज भर्ती हो रहे हैं, जिनकी कोविड रिपोर्ट तो निगेटिव है पर उन्हें निमोनिया की शिकायत है। इसके चलते उनका आक्सीजन लेवल बहुत कम होता है। शाम चार बजे 35 फीसद आक्सीजन लेवल के साथ 50 वर्षीय महिला शंकुतला भर्ती हुई। वार्ड में मरीजों की संख्या अधिक है और आक्सीजन प्वाइंट कम हैं। ऐसे में एक प्वाइंट से दो मरीजों को आक्सीजन दिया जा रहा है, इसलिए आक्सीजन सप्लाई ठीक से नहीं हो पाती। जब शकुंतला को भर्ती किया तो उसे आक्सीजन लगा दी, इससे दूसरे मरीज को आक्सीजन की सप्लाई कम हो गई। इससे मरीज के अटेंडेंट ने शंकुतला को जा रही आक्सीजन का प्वाइंट बंद कर दिया। इसके चलते शंकुतला को आक्सीजन नहीं मिला और उसकी मौत हो गई। इस पर अटेंडेंटों ने हंगामा किया और ड्यूटी डाक्टर के साथ धक्का-मुक्की कर दी। डाक्टर व स्टाफ वहां से भाग कर अस्पताल के बाहर आ गए और पुलिस को बुला लिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने मामला शांत किया। तब तक घटना की जानकारी लगते ही अन्य जूनियर डाक्टर भी मौके पर एकत्रित हो गए। हंगामा शांत होने के बाद जब पुलिस ने मृतिका शंकुतला का डेथ सर्टीफिकेट देने के लिए ड्यूटी डाक्टर को बुलाया तो वह इस बार पूरी तैयारी से वार्ड में पहुंचे। पुलिस को देखकर जैसे ही अटेडेंटो ने डाक्टरों पर हावी होने का प्रयास किया तो फिर से गहमागहमी हो गई, पर इस बार जूड़ा ने महिला व पुरुष अटेडेंट की पिटाई लगा दी, बीच बचाव में एक पुलिस जवान भी घायल हुआ। वार्ड में रखी दवा व अन्य सामान को अटेंडेंटों ने हंगामा करते हुए इधर-उधर फेंक दिया। इससे वार्ड में दहशत का माहौल हो गया। डाक्टरों की सुरक्षा में दो जवान तैनात किए गए थे, पर उनके मौजूद नहीं होने के कारण विवाद अधिक बढ़ गया। तीन दिन पहले भी आक्सीजन की कमी के चलते केआरएच के जनरल वार्ड में तीन मरीजों की मौत को लेकर विवाद हुआ था और उस समय भी अटेंडेंटों ने स्टाफ पर हमला कर दिया था, जिसको लेकर जूडा ने सुरक्षा की मांग की थी। तब पुलिस बल अस्पताल में तैनात करने पर सहमति बनी थी। डा. फराज आदिल का कहना है कि अटेंडेंटों का आरोप था कि आक्सीजन सप्लाई अस्पताल स्टाफ ने बंद की है, इसलिए उन्हें मरीज जिंदा चाहिए, क्योंकि वह मरीज को जिंदा अस्पताल लेकर आए थे। उन्हें समझाने का प्रयास किया तो उन्होंने मारपीट शुरू कर दी। इस कारण स्टाफ ने भागकर अपनी जान बचाई। इस बारे में जेएएच के अधीक्षक डा. आरकेएस धाकड़ का कहना है कि महिला मरीज दूसरे अस्पताल से रेफर होकर भर्ती हुई थी। उसकी हालत गंभीर थी, जिसे आक्सीजन दिया पर उसकी मौत हो गई। इस पर मरीज के अटेंडेंटों ने महिला डाक्टर व स्टाफ के साथ मारपीट कर दी। इस कारण पूरा स्टाफ व डाक्टर वहां से भाग गए। जूडा डीन ऑफिस पहुंचे तो उन्हें समझाकर वापस ड्यूटी पर भेज दिया। कलेक्टर, एसपी के साथ बैठक रखी गई है, जहां जूडा व स्टाफ अपनी समस्या रखेगा। जिसकी भी गलती होगी उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।