नई दिल्ली । कोरोना वायरस की दूसरी लहर अब सुनामी बनकर भारत में तबाही मचा रही है। कोरोना पर कैसे काबू पाया जाए, इसके लिए प्रधानमंत्री ताबड़तोड़ बैठकें कर रहे हैं। कोरोना वायरस की दूसरी लहर में सिर्फ अप्रैल महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 बैठकें की हैं, इनमें से ज्यादातर मीटिंग्स पिछले दो सप्ताह में हुई हैं। देश में कोरोना के हालातों की समीक्षा, ऑक्सीजन की किल्लत और वैक्सीनेशन जैसे मुद्दे पर ये बैठकें अलग-अलग लेवल पर हुई हैं। बता दें कि देश में कोरोना वायरस के अब हर दिन साढे़ तीन लाख से अधिक केस मिल रहे हैं। 2020 मार्च के बाद से प्रधाननमंत्री नरेंद्र मोदी की कोरोना संबंधित समीक्षाओं और बैठकों की सबसे अधिक संख्या है। पिछले साल मार्च में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन का ऐलान किया था, तब उस दौरान भी खूब बैठकें हुई थीं और उन्होंने कोरोना मैनेजमेंट को लेकर 14 आधिकारिक बैठकें की थीं। अप्रैल महीने में हुई 21 बैठकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केंद्र सरकार के अधिकारियों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, विदेशी नेताओं मसलन अमेरिकी राष्ट्रपति और रूसी राष्ट्रपति के साथ हुई मीटिंग भी शामिल रहे हैं। प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के मुताबिक, अगर मार्च 2020 से अप्रैल 2021 के बीच की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दौरान कम से कम 65 आधिकारिक बैठकों में शामिल रहे हैं। सरकारी अधिकारियों का दावा है कि पीएम मोदी ने कोरोना को लेकर एक्सपर्ट्स, राजनेताओं और अन्य स्टेकहोल्डर्स के साथ भी बातचीत की है, जिन्हें इन आधिकारिक बैठकों में नहीं जोड़ा गया है। जनवरी और मार्च 2021 के बीच जब भारत में कोरोना के मामलों में कमी देखी गई थी तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठकें भी कम हुईं। इसकी एक वजह यह भी है कि पीएम मोदी ने इस दौरान चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदश में चुनाव प्रचार भी किया। बता दें कि बंगाल में आठ चरणों में चुनाव हुए हैं। इस साल मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ एक बैठक की वो भी कोरोना पर 17 मार्च को मुख्यमंत्रियों के साथ समीक्षा बैठक। ठीक इसी तरह फरवरी में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना को लेकर सिर्फ एक बैठक में ही शामिल रहे। पीआईबी के मुताबिक, जनवरी में प्रधानमंत्री कोरोना से जुड़े दो इंगेजमेंट में शामिल रहे। इनमें से एक था 16 जनवरी को टीकाकरण अभियान की शुरुआत करना। बता दें कि कोरोना वायरस की पहली लहर का पीक सितंबर में देखा गया था। फिर इस साल फरवरी में कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दी और अब तक इसकी तबाही देखने को मिल रही है।