लैलूंगा-जोहार छत्तीसगढ़।
लैलूंगा में हुए एक पत्रकार पर एफआईआर का हम प्रेस क्लब लैलूंगा के सभी पत्रकार बंधु विरोध करते हैं यह एफआईआर जो बिना किसी जांच के सीधे पत्रकार पर किया है जैसा एफआईआर के आवेदन जिक्र है की आशुतोष मिश्रा दैनिक पत्रिका द्वारा भी व्हाट्सअप में निम्न बातें वायरल किया गया है, और जनप्रतिनिधियों का क्या? उन्हें क्या इन सब की जानकारी नहीं है। फिर वो क्यों चुप्पी साधकर तमाशा देख रहे हैं। मुख्यालय में जो तमाशा चल रहा है ना उससे सीधे सीधे सरकार की छवि धूमिल हो रही है।, इसमें कहीं भी विरोधाभास जाहीर नही होता है बल्कि साफ साफ प्रश्न चिन्ह के साथ सवाल करके अपना नजरिया रखा गया है जिसमे किसी अधिकारी का जिक्र भी नही है । इसके अलावा आरोप है की दैनिक पत्रिका अखबार में आशुतोष मिश्रा द्वारा 18 अप्रेल 2021 को लेख कर दैनिक समाचार पत्र में प्रशासन के विरुद्ध टिप्पणी किया गया है और वाट्सअप ग्रुप में इनके द्वारा निंदनीय टिप्पणी की जाती रही है। उक्त प्रकाशन से आपत्ति हो तो उसकी प्रक्रिया में जांच के बाद अग्रिम कार्यवाही किया जाना चाहिए। तो क्या प्रशासन के विरुद्ध कभी कोई पत्रकार लेख भी नही लिख सकता है जबकि मीडिया का काम प्रशासन को आइना दिखाना ही होता है और यदि उस समाचार में कुछ ऐसी बातें थी जिससे प्रशासन की छवि धूमिल हो तो भी अखबार को नोटिस जारी करके उसका पक्ष जाना जाता है जबकि यहां सीधे आशुतोष मिश्र के ऊपर बिना किसी जांच के एफआईआर कर दिया गया है।
एफआईआर के बिंदुवार जानकारी
- क्या आशुतोष मिश्रा द्वारा 18 अप्रैल को जो समाचार चलाया गया था वह इतना निंदनीय था जिसकी तुलना जितेंद्र ठाकुर के व्हाट्सएप मैसेज से की गई ।
- एफआईआर में जितनी धारा लगाई गई वो धारा बिना किसी जांच के सीधे लगा दी गई है जबकि यदि किसी लेख के प्रकाशन से यदि आपत्ति हो तो पहले उसमे पक्ष जानकर कानूनी प्रक्रिया की जाती है ।एक तरफा कार्यवाही उचित नहीं है।
- एफआईआर में धारा 34 का जिक्र है जिसमे एक से अधिक लोगों के द्वारा किया गया सामूहिक जुर्म होता है ये सामूहिक जुर्म में कैसे हो सकता है जबकि एक लेख में जिक्र 18.04.2021 को होता है और व्हाट्सएप का मैसेज जितेंद्र द्वारा 26.04.2021 को किया जाता है
- दोनो के ऊपर एक धारा एक एफआईआर जो की बिलकुल निराधार है जितेंद्र ठाकुर द्वारा जो टिप्पणी की गई है वो पूर्णतः उनका मत है इसमें आशुतोष मिश्रा को शामिल करके एक एफआईआर एक धारा दोनो के ऊपर की गई है जो एक तरफा कार्यवाही को प्रदर्शित करता है ।
इन सभी बिंदुओं से हम पत्रकार असहमत है कोरोना हो या किसी भी तरह की विषम परिस्थिति हो हम पत्रकार हमेशा से शासन प्रशाशन का सहयोग करते रहे हैं हम इस एफआईआर के विरोध में निंदा प्रस्ताव पारित करते हैं तथा प्रशासन से इस एफआईआर पर पूर्णतः निष्पक्ष जांच कर कार्यवाही करने की मांग करते हैं अन्यथा पत्रकार जगत में प्रशासन के इस कार्यप्रणाली से निराशा फैलेगी और हम सभी पत्रकार स्थानीय प्रशासन का बहिस्कार करने पर मजबूर रहेंगे।