Home छत्तीसगढ़ महिलाएं एक-दूसरे को सशक्त करें, तो यह कड़ी आगे बढ़ती जाएगी और...

महिलाएं एक-दूसरे को सशक्त करें, तो यह कड़ी आगे बढ़ती जाएगी और एक दिन पूरा महिला समाज सशक्त हो जाएगा: सुश्री उइके

16
0

रायपुर, । यदि महिलाओं को सशक्त बनाना है तो खुद से पहल करनी होगी। अगर एक महिला 10 महिलाओं को, 10 महिलाएं 100 महिलाओं को, 100 महिलाएं 1000 महिलाओं को, 1000 महिलाएं 01 लाख महिलाओं को सशक्त बनाएंगी तो यह कड़ी आगे बढ़ते जाएगी और धीरे-धीरे पूरा महिला समाज सशक्त हो जाएगा। इस कोरोना काल में भी महिलाएं अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य करते हुए अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज महिला सशक्तिकरण पर आधारित कार्यशाला ‘‘वीरांगना-2’’ को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता और असफलता आती रहती हैं, परन्तु संकट के समय हौसला बनाए रखें, हिम्मत न हारें, सफलता अवश्य मिलेगी।

राज्यपाल ने कहा कि आज कोरोना काल में पूरा देश एवं विश्व ऐसे संकट से जूझ रहा है जिसकी दुनिया में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। उन्होंने महाअष्टमी के अवसर पर माता दुर्गा से देश प्रदेश सहित पूरे विश्व को कोरोना संक्रमण से मुक्त करने की कामना की। राज्यपाल ने कहा कि आज संसार के सामने कोरोना संक्रमण के रूप में एक बड़ी आपदा आई हुई है। हमें इसे हराने के लिए आज एकजुट होना पड़ेगा। इस लड़ाई में भी हमारी महिला शक्ति हर मोर्चे पर डटी हुई है। चाहे पुलिस, चिकित्सक, प्रशासनिक अधिकारी या घर में मां, बेटी, पत्नी या बहन के रूप में और हर परिस्थितियों में परिवार और समाज के साथ अपनी भूमिका का निर्वहन कर रही है, सेवा कार्य कर रही है। सभी हॉस्पिटलों में जो नर्सेस कार्यरत हैं, वो चाहे मरीज को दवाई देने में, उनका ध्यान रखने में या टीकाकरण के समय भी वे फ्रंट लाइन में नजर आ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी वैक्सीनेशन कराया और मैं भी वैक्सीनेशन के लिए गई तो यह महिला नर्सिग स्टाफ ड्यूटी पर मुस्तैद थीं और हमें कोराना की वैक्सीन लगाई। इस कोरोना से लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले महिला स्वास्थ्यकर्मियों को मैं धन्यवाद देती हूं।

उन्होंने कहा कि शिक्षा के अभाव में कई सामाजिक कुरीतियां आई जिससे महिलाओं को दोयम दर्जे का सामना करना पड़ा। लेकिन धीरे धीरे कई सामाजिक सुधार आंदोलन तथा कई कानूनों की मदद से पर्दा प्रथा, बाल विवाह, दहेज प्रथा, सती प्रथा जैसे कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया गया। महिला शिक्षा के प्रति जागरूकता आईं और कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हुईं। उसी जागरूकता का परिणाम हैं कि मेरे जैसी सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली महिला को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल पद का दायित्व संभालने का मौका मिला। आज महिलाएं कई स्थानों पर कार्य कर रही हैं चाहे आर्टिटेक्ट, अधिवक्ता, इंजीनियर, डॉक्टर, सिविल सर्विसेस सभी जगह पर बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। यही नहीं जो स्थान पुरूषों का माना जाता था जैसे पुलिस, सेना, न्यायालय उन सभी जगहों पर महिलाएं सामने आ रही हैं। परन्तु इस समय आवश्यकता है कि महिला सशक्तिकरण के लिए भारतीय संविधान और विधायिका ने जो कानून बनाए है और न्यायालयों ने जो निर्णय लिए हैं, उसकी जानकारी होनी चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि ऐसी कार्यशाला हमें महिलाओं को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। कार्यशाला का जो थीम वीरांगना रखा गया है, वह वाकई में सार्थक है। हमारे देश में महिलाएं हमेशा वीरता का प्रतीक के रूप में जानी जाती रही हैं। छत्तीसगढ़ में भी महिलाएं विभिन्न मोर्चों पर अग्रणी भूमिका निभा रही है, चाहे वह कलेक्टर के रूप में, पुलिस अधिकारी के रूप में हो। बस्तर क्षेत्र के कोंडागांव जिले के सल्फीपदर गांव की महिलाओं ने सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है। वहां के महिला समूह संगठित होकर ईमली प्रोसेसिंग का कार्य कर रही हैं और आय अर्जित कर रही हैं। इस गांव को मेरे द्वारा गोद भी लिया गया है। वहीं बस्तर में महिला कमांडो के रूप में नक्सलियों से लोहा ले रही हैं। साथ ही दक्षिण बस्तर में जैविक खेती कर रही हैं।

सुश्री उइके ने कहा कि यदि घर में पिता या अन्य सदस्य अपने बेटियों और बहनों को सहयोग करें तो वे वह कर दिखाएंगी जिसके बारे में किसी ने कल्पना भी नहीं की होंगी। आज स्थिति बदल रही है। महिलाओं के आगे बढ़ने के साथ-साथ समाज की सोच भी आगे बढ़ रही है। महिलाओं को कई क्षेत्रों में उत्तम शिक्षा और सर्वोत्तम अधिकार प्राप्त हो रहें हैं लेकिन महिला सशक्तिकरण का सही अर्थ तब प्राप्त होगा जब लैंगिक असमानता को जड़ से समाप्त कर दिया जाए और महिलाओं को हर क्षेत्र में सम्मान दिया जाए। आवश्यकता है उन्हें पुरुषों के समान, सम्मान और अवसर प्रदान करने की। यही एक राष्ट्र का मूल उद्देश्य भी होना चाहिए।

कार्यक्रम में एमिटी लॉ स्कूल नोएडा के उपनिदेशक प्रोफेसर आदित्य तोमर, एमिटी यूनिवर्सिटी, एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमेन एंड फाउंडर प्रेसिडेंट्स ऑफिस (एमिटी ग्रुप) प्रोफेसर दिलीप कुमार बंदोपाध्याय, एमिटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ के कुलपति डॉ. डब्ल्यू. सेल्वामूर्ति, एमिटी यूनिवर्सिटी उत्तरप्रदेश (नोएडा) के उपकुलपति प्रोफेसर बलविंदर शुक्ला सहित अध्यापकगण एवं विद्यार्थीगण भी शामिल हुए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here