जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
आज के जमाने में सरकार की फ ाइलों में प्रत्येक गांव को ओडीएफ का दर्जा हासिल है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जब तक पंचायतों में ठेका प्रथा हावी रहेगा और सरपंचपति तथा पंचायत सचिव सिर्फ अपनी तिजोरो भरने की सोचते रहेंगे तब तक ना गांव का विकास सम्भव है और न ही निर्माण कार्यो की गारंटी, खैर आदिवासी बाहुल्य अंचल धरमजयगढ़ के समीप ग्राम पंचायत पोटिया में सामुदायिक शौचालय निर्माण कार्य में भारी अनिमितता बरती गई है। घटिया कार्य करने की सीमा ही लांघ देने वाले इस पंचायत के सरपंच पति, सचिव पंचायत के प्रत्येक कार्य को ठेकेदार द्वारा करवा रहे हैं। साथ ही महिला सरपंच होने के नाते पंचायत की पूरी बागडोर सरपंच पति के हाथों है। तथा पंचायत सचिव अपने रिश्तेदारों को पंचायत में मालामाल करने में लगा है। ऐसा नहीं है कि इस पंचायत में सरपंच, सचिव ठेका प्रथा से पहली मर्तबा काम करवा रहे हो बल्कि अपने रिश्तेदारों को पंचायत में भेजकर और सरपंच से परिचय कराकर ठेका प्रथा में काम करवाना इनका मकसद सा बन गया है। वहीं ठेका प्रथा में किये गये सामुदायिक शौचालय के निर्माण में किस प्रकार भ्रष्टाचार किया गया है इन तस्वीरों के माध्यम से साफ देखा जा सकता है। शौचालय की टाइल्स बनने से पहले ही उखडऩे लगी है। वहीं मीडिया को कवरेज करते देख सरपंच सचिव दोनों इस कार्य में ठेकेदार को दोषी साबित करने पर तुले रहे जबकि हकीकत यह है की पंचायतों में ठेका प्रथा से कार्य कराने पर पूरी तरह पाबंदी है।
सेप्टिक टैंक को बांस डालकर ढलाई कर दिया
काम निपटाने की जल्दबाजी और अपनी कमाई के चक्कर में सरपंचपति और इस पंचायत के सचिव दोनों ने मिलकर सामुदायिक शौचालय के निर्माण में इतनी लापरवाही बरती की शौचालय की सेप्टिक टैंक को बांस की लकडिय़ों से ढलाई कर दिया और मामूली सीमेंट लगाकर महज रेती से ही इसकी ढलाई कर दिया जो निर्माण के दूसरे दिन ही रेत का मुरदा छूने से निकलने लगा ऐसे में जब इस सम्बंध में पोटिया के सरपंच से बात की गई तो उसने सचिव पर आरोप लगाते हुए कहा कि ठेकेदार गांव में आकर कहने लगे कि इस पंचायत में समादायिक शौचालय का काम मंत्रालय से पास करवाकर हम लोग लाये है। और पूरा काम करने लगे। वहीं दूसरी इसी पंचायत में एक और भवन का निर्माण कार्य कराया गया है जिसमे ठेकेदार आधा अधूरा काम करके और पैसे खाकर भाग गया अब इस अधरे पड़े निर्माण कार्य को किसी दूसरे ठेकेदार से करवाया जा रहा है। ऐसे में सरकारी पैसों के दुरुपयोग के नाम पर भी इस पंचायत में भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। बताना होगा कि पोटिया के सचिव भक्ता और घटिया निर्माण करने वाले ठेकेदार एक ही गांव तथा आसपास के है और आदिवासी सरपंच को मंत्रालय से काम पास करवा कर लाने की बात कहकर पुरे पंचायत के निर्माण कार्यो में गुणवत्ताविहीन कार्य करके सरकार तथा पोटियावासियों को जमकर चुना लगाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि सरपंच पति, सचिव और इन ठेकेदारों के आका की मिलीभगत से लाखों की हेराफेरी को अंजाम दिया जा रहा है।