भोपाल/इंदौर । कोरोना के उपचार की बेहतर व्यवस्था किए जाने के प्रशासन और सरकार के दावे की पोल मंगलवार को एक बार फिर खुल गई। एक ओर हर के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में जगह नहीं होने की बात कहकर मरीजों को भगाया जा रहा है। दूसरी ओर इंदौर के चाचा नेहरू बाल अस्पताल और एमवाय अस्पताल खाली पड़े हैं। कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने मंगलवार को दोनों अस्पतालों में छापा मारा। अचानक पहुंचे विधायक ने खाली पड़े अस्पताल और इलाज के लिए परेशान हो रहे मरीजों पर प्रशासन से जवाब मांगा है। उल्लेखनीय है कि चाचा नेहरू बाल अस्पताल को प्रशासन कोविड सेंटर घोषित कर चुका है।
विधायक शुक्ला मंगलवार सुबह पहले एमवाय अस्पताल और फिर उसी के पीछे स्थित चाचा नेहरू अस्पताल पहुंचे। विधायक शुक्ला के अनुसार पिछले काफी समय से जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि एमवाय अस्पताल में कोरोना वायरस के संक्रमितों का बेहतर उपचार हो रहा है। पिछले दिनों यह भी आदेश जारी किया गया था कि इस अस्पताल की चौथी और पांचवीं मंजिल को पूरी तरह से कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया जाए। जब यहां पहुंचा तो यह देखकर हैरान रह गया कि सारे शहर में एक तरफ संक्रमित मरीज अस्पताल में भर्ती होकर उपचार पाने के लिए भटक रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एमवाय अस्पताल की चौथी और पांचवीं मंजिल पूरी तरह खाली पड़ी है। वहां पर एक भी मरीज भर्ती नहीं है।
चाचा नेहरू बाल अस्पताल के हाल भी ऐसे ही है। इस अस्पताल को भी कोरोना अस्पताल के रूप में सामने लाने का फैसला काफी पहले हो चुका है। असलियत यह है कि यह पूरा अस्पताल खाली पड़ा हुआ है जिसमें कहीं भी कोई मरीज भर्ती नहीं है। इसके बाद भी कोरोना संक्रमितों को इस अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा रहा है। भ्रमण के दौरान इन दो प्रमुख सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के उपचार की स्थिति उभर कर सामने आई उससे स्पष्ट है कि शासन-प्रशासन द्वारा व्यवस्थाओं में लापरवाही बरती जा रही है । जिसका खामियाजा संक्रमितों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है। इस समय इंदौर के सभी अस्पतालों में बेड नहीं है। आक्सीजन की किल्लत भी दूर नहीं हो पा रही है। अस्पताल में भर्ती होने के इंतजार में मरीज दम तोड़ रहे हैं।