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अमेरिका ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण संबंधी भारत के अनुरोध को लेकर अपना समर्थन दोहराया

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वाशिंगटन । अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के नेतृत्व वाले अमेरिकी प्रशासन ने देश की एक अदालत के समक्ष ताजा अभिवेदन में पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राणा को मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमलों के मामले में प्रत्यर्पित किए जाने के भारत के अनुरोध को लेकर अपना समर्थन दोहराया है। अमेरिकी सरकार के सहायक अटॉर्नी जॉन जे लुलेजियान ने इस मामले में लॉस एंजिलिस में अमेरिका डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की जज जैकलीन चुलजियान को सोमवार को पत्र के माध्यम से जानकारी दी। जज ने मामले की सुनवाई के लिए 24 जून की तारीख तय की है। लुलेजियान ने पत्र और उसके साथ सौंपे दस्तावेज में ‘‘प्रत्यर्पण के प्रमाणन संबंधी अनुरोध के पक्ष में अमेरिका के जवाब’’ के समर्थन में घोषणा की। लुलेजियान ने दोहराया कि 59 वर्षीय राणा का भारत में प्रत्यर्पण भारत और अमेरिका के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के अनुरूप है।

भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक, भारत सरकार ने राणा के औपचारिक प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है और अमेरिका ने प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू की है। अमेरिका सरकार ने दलील दी है कि भारत प्रत्यर्पण के लिए राणा सभी मापदंडों को पूरा करता है। लुलेजियान ने कहा कि अमेरिका राणा को भारत प्रत्यर्पित करने के लिए प्रमाणन का अनुरोध करता है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्यर्पण अनुरोध में संभावित कारण स्थापित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं और राणा ने भारत के अनुरोध को काटने के लिए कोई सबूत नहीं दिया है। राणा लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली का बचपन का दोस्त है।

भारत के अनुरोध पर राणा को मुंबई आतंकवादी हमले में संलिप्तता के आरोप में लॉस एंजिलिस में 10 जून को फिर से गिरफ्तार किया था। इस हमले में 6 अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गये थे। भारत ने उसे भगोड़ा घोषित किया है। पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक हेडली 2008 के मुंबई हमलों की साजिश रचने में शामिल था। वह मामले में गवाह बन गया था और वर्तमान में हमले में अपनी भूमिका के लिए अमेरिका में 35 साल जेल की सजा काट रहा है।

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