धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़।
धरमजयगढ़ वन मंडल में खुलेआम वन संपदाओं का तस्करी हो रहा है और विभागीय अधिकारी कार्यवाही छोड़ घर पर ही बैंठे हैं। जिसके चलते वन तस्करों का हौसला बुलंद होता जा रहा है धरमजयगढ़ वन मंडल के अंतर्गत 6 रेंज आते हैं, लगभग लगभग सभी रेंज का यही हाल है। अगर हम बात करें धरमजयगढ़ रेंज की तो यहां रेंज तो भगवान भरोसे ही चल रहा है क्योंकि इस रेंज में दिन दहाड़ ही वन तस्कर तस्करी कर रहे हैं। और इस विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को इसकी भनक तक नहीं लग रहा है। और भनक लगे भी कैसे इनके बीट गार्ड अपने बीट में ना जाकर धरमजयगढ़ मुख्यालय में ही रहकर खानापूर्ति कर रहे हैं। और इसकी खबर इनके अधिकारी को होने के बाद भी इनके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं करते हैं। कार्यवाही नहीं होने के कारण ये कर्मचारी भी बेलगाम हो गये हैं बेलगाम होने का नतीजा है कि आज खुलेआम बिना डर भय के वन संपदाओं का तस्करी हो रहा है। तस्करी की खबर मीडिया में आने के बाद भी इनके अधिकारी कर्मचारी द्वारा किसी प्रकार की जानकारी तक नहीं लेना कई सवाल को जन्म दे रहा है। क्या तस्करों के साथ विभागीय अधिकारी कर्मचारी की मिलीभगत है? क्या बीट गार्ड द्वारा वन तस्करी की जानकारी अपने उच्च अधिकारियों को नहीं दिया जाता? इस तरह के कई सवाल विभागीय अधिकारी कर्मचारियों पर ग्रामीणों द्वारा उठाया जा रहा है। बोरो रेंज के जबगा गांव में हर दो-चार दिन में वाहन में भर कर ईमारती लकड़ी की तस्करी वर्षों से हो रहा है लेकिन आज तक एक भी कार्यवाही बोरो रेंज के अधिकारी कर्मचारी तस्करों पर किया है या नहीं किसी को नहीं मालूम। विभागीय अधिकारी जंगल बचाना छोड़ निर्माण कार्य में अधिक ध्यान देते हैं। वन मंडल धरमजयगढ़ में निर्माण कार्य भी घटिया किस्म का करवाया जाता है जिसका नतीजा कई बार देखने को मिलता है। निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ जाता है। लेकिन आज तक निर्माण करने वालों पर कोई कार्यवाही विभागीय अधिकारी द्वारा नहीं किया गया है। अगर विभाग के उच्च अधिकारी ईमानदारी के साथ निर्माण कार्य एवं वन तस्करी की जांच करें तो इस विभाग के कई अधिकारी कर्मचारी पर कार्यवाही की गाज गिर सकता है। पर ऐसा जांच करेगा कौन ये सबसे बड़ा सवाल क्षेत्रवासियों में?