धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़।
वन विभाग धरमजयगढ़ में खुलेआम वन संपदाओं का दोहन करने का खेल चल रहा है। लेकिन अधिकारी-कर्मचारी दोहन करने वालों पर लगाम लगाने में नकाम साबित हो रहे हैं। बात सिर्फ वन संपदाओं को नुकसान पहुंचाने का नहीं हैं इस विभाग द्वारा लाखों करोड़ों का निर्माण कार्य भी भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ा दिया जाता है। लाखों का डेम एक साल में ही भ्रष्टाचार का पोल खोल दे रहे हैं लेकिन अधिकारी इस पर कार्यवाही करने का नाम भी नहीं ले रहा है। और विभागीय अधिकारी-कर्मचारी भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्यवाही क्या करेंगे विभाग तो काम शुरू करने से पहले ही कमीशन खोरी का भेंट चढ़ा दिया जाता है। बताया जाता है कि इस विभाग द्वारा जिस किसी ठेकेदार को काम दिया जाता उनसे पहले कमीशन ले लिया जाता है उसके बाद काम ठेकेदार को दिया जाता है ठेकेदार भी काम में भ्रष्टाचार करते हुए घटिया निर्माण कर दिया जाता है जो एक साल में ही निर्माण कार्य का पोल खोल दे रहा है। वन मंडल धरमजयगढ़ में वन संपदाओं का खुलेआम तस्करी किया जा रहा है लेकिन वन विभाग न जाने क्यों इन तस्करों पर लगाम नहीं लगा रहे हैं। अगर हम बात करें जंगल से दिन दाहड़े जंगल को काट कर लोग इमारती लकडिय़ों का तस्करी कर रहे हैं लेकिन वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी इन तस्करों पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। कार्यवाही नहीं करने से ऐसा लगता है कि तस्कर और विभागीय अधिकारी कर्मचारियों का मिली भगत है। तो धरमजयगढ़ वन मंडल में लकड़ी की तस्करी के साथ-साथ कोयला तस्कर भी सालों साल से कोयला तस्करी कर रहे हैं और वन विभाग हाथ पे हाथ धरे बैंठे हैं इनको तो वन संपदाओं से कोई मतलब ही नहीं है इनको तो बस अपनी कमाई से मतलब है। वन मंडल के जितने भी रेंज सभी रेंज का ये ही हाल है अगर सही तरीके से जंगल कटाई की जांच की जाये तो कई अधिकारी कर्मचारी पर जबरदस्त कार्यवाही हो सकता है। लेकिन बात यही आकर रूक जाता है कि जांच करेगा कौन? सभी तो एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं।