जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़। जनप्रतिनिधियों व जिला तहसील तथा ब्लॉक के अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही या उदासीनता की वजह से गांवों में सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाने की खबर अक्सर देखी व सुनी जाती है। लेकिन जब ग्राम पंचायत के जवाबदार सरपंच-सचिव ही महज औपचारिकता निभाने की ठान ले तो गाँव मे विकास के बजाय शासकीय योजनाओं सहित राशि का दुरुपयोग होना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं होगी। धरमजयगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत तालगांव निवासी अभी भी कई मूलभूत समस्याओं के अंबार से जूझ रहे हैं। औऱ यह पूरा माजरा इस पंचायत के नवनिर्वाचित सरपंच एवं सचिव बताया जा रहा हैं। खास बात है कि इस पंचायत में मूलभूत सुविधाओं को लेकर ग्रामीण भी बेबस नजर आते हैं। जहां इस कोरोनाकाल में न साफ सफाई को तवज्जो दी जा रही है।बऔर न ही पंचातवासियों को ठीक से शासन की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। वहीं इस पूरे मामले में पंचायत सचिव की भूमिका अहम मानी जा रही है। बता दे कि नवनिर्वाचित सरपंच की मासूमियत और जानकारी के आभाव का पूरा पूरा फायदा सचिव गंगाधर उठाने की फिराक में रहता है। बताना लाजिमी है कि उक्त सचिव अभी हाल ही में तालगांव पंचायत में पदस्थ हुआ हैं।जो पूर्व में भी अन्य पंचायत की बागडोर सम्भाल चुका है। लेकिन इस सचिव के कार्यकाल में विकास की स्थिति इतनी खराब मानी जाती है मानो भरष्टाचार भ्रष्टाचार का जनक इसे ही समझा जाता हो। स्थिति यह है कि गांव के सरपंच घर की गली में पैर रखना अपने आप को दलदल में धकेलने जैसा है ।अब जब गांव के मुखिया के गली की यह दशा है तो अंदाज़ा लगाना आसान है कि गांव का क्या स्थिति होगी? सड़क, बिजली, नाली जैसी समस्याओं से जुझते इस पंचायत में कोरोनाकाल को लेकर भी किसी तरह की मुहिम को नजरअंदाज कर मास्क, सेनेटाइजर गांव के ग्रामीणों को देखने तक नसीब नहीं हुआ। ऐसे में सचिव द्वारा गड़बड़झाला करने की बात भी सामने आई है। जो कितना सच और कितना झूठ है। यह वक्त आने पर ही पता चलेगा। लेकिन एक बात साफ है कि इस पंचायत में कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए कुछ नहीं किया गया है। ग्रामीणों को अपने हाल में छोड़ दिया है।