कविराज, जोहार छत्तीसगढ़।
कोरिया :- प्रकृति के उपर लगातार कुदाल चलाकर बालू की तस्करी करने वाले बालू माफिया के आंकड़े दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। इन पर कड़ी कार्रवाई ना होने से इनके हौसले सातवें आसमान पर है। सरगुजा संभाग की नदियों से लगातार बालू निकालने से वे अपना अस्तित्व ही खोती जा रही है। विभाग द्वारा इस पर कड़ी कार्यवाही ना करने से भविष्य में संभाग के समस्त लोगों को प्रकृति की मार झेलनी पड़ सकती है।
गौरतलब है कि, सरगुजा संभाग के ब्लॉक मुख्यालय उदयपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत मोहनपुर, ग्राम पंचायत कुमढेवा एवं ग्राम पंचायत चैनपुर से हो कर गुजरने वाली सरगुजा की जीवन रेखा रेड नदी में लगभग 1 वर्षों से रेत उत्खनन का अवैध कारोबार बेखौफ एवं धडल्ले से चल रहा है । वही सिविल निर्माण के लिए नदी की रेत का उत्खनन किया जाता है। कई बार लोगों ने प्रसाशन का ध्यानाकर्षण कराया पर इसके वावजुद भी प्रशासन द्वारा इस ओर कोई ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा। उदयपुर सहित आसपास के अन्य शहरों एवं गावों में चल रहे सिविल कार्य में ही यह बालू खप जाने से इसे ज्यादा दूर ले जाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। यहां रोज 50 ट्रैक्टर के लगभग बालू निकाला जा रहा है। इसके लिए ग्राम पंचायत द्वारा भी कोई खास पहल नहीं किया गया है कि रेत उत्खनन में रोक लगाया जा सके प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी भी रेत उत्खन्न को लेकर मौन साधे हुए है। ज्ञात हो कि बालू निकाल कर पूरे नदी को गड्ढा कर दिया जा रहा है जिससे रेड नदी का अस्तित्व खतरे में आ गया है। वही पंचायत में कव्वाल गिरी के पास भी रोज रेत उत्खनन का कार्य बदस्तुर जारी है । वहीं इसके अलावा मोहनपुर ग्राम पंचायत में पुल के ऊपर और नीचे दोनों साइड ट्रैक्टर लगाकर रेत उत्खनन का कार्य किया जा रहा है । लोगों ने शासन प्रसाशन से इस ओर ध्यान देने व कार्यवाही की मांग की है।