जोहार छत्तीसगढ़ धरमजयगढ़। रायगढ़ जिले के अंतिम छोर पर बसे गांव बाकारुमा के क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे लोगों ने कोरोना टेस्ट कराने की मांग की है। उक्त कॉरेन्टाइन सेंटर में रह रहे सभी लोग प्रवासी मजदूर है जो अभी कुछ दिनों पूर्व ही बाकारुमा के हाई स्कूल में कॉरेन्टाइन किये गए हैं। हालांकि काफ़ी कठनाइयों के बाद ये मजदूर अपने गृह ग्राम तो पहुँच गए लेकिन इस सेंटर में किसी को 13 दिन तो किसी को 5-7 दिन होने के बावजूद इन मजदूरों का कोरोना टेस्ट नही कराया जाना संक्रमण के खतरे को आमंत्रण दे रहा है। ऐसे में ना तो मजदूर अपने घर जा पा रहे हैं और ना ही कोई रिपोर्ट सामने आने की गुंजाइश है। इसके अलावा इन प्रवासी मजदूरों को केंद्र में रह रहे आपसी लोगों में कोरोना फैलने का डर सताने लगा है।
कोरोना संक्रमण का ख़तरा बढ़ा
धरमजयगढ़ विकासखंड के 118 ग्राम पंचायतों में 25 कॉरेन्टाइन सेंटर बनाया गया है।जिसमें विशेष तौर पर प्रवासी मजदूरों को ही कॉरेन्टाइन किया जाना है।लेकिन
अजीब बात तो यह है कि इन राहत शिविरों में रुके प्रवासियों को कॉरेन्टाइन किये 10 दिन से ऊपर हो चुके हैं लेकिन इनका अभी तक कोरोना टेस्ट नही कराया गया है ऐसे में ग्रामीण इलाकों में कोविड 19 के संक्रमण फैलने का ख़तरा और भी अधिक बढ़ना कोई बड़ी बात नहीं है। जिससे ग्रामीणों में एक अलग ही भय कायम है।
कोविड 19 के डियूटीदार रहते हैं गायब
प्रत्येक कॉरेन्टाइन सेंटर में विशेष सुविधाओं तथा सुरक्षा के साथ प्रवासी मजदूरों को निगरानी में रखना है लेकिन क्षेत्र में कई ऐसे कॉरेन्टाइन सेंटर है। जो बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसता देखा जा रहा है जिसका फायदा कॉरेन्टाइन सेंटर में या तो मजदूर भाग कर उठा रहे है या फिर गार्ड अथवा डियूटी निभा रहे जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी की गैरहाजिरी में अपने रिश्तेदारों से संपर्क कर कॉरेन्टाइन किया गया व्यक्ति सभी नियमों को नजरअंदाज कर घुलमिल रहा है या फिर वह व्यक्ति वायरस के साथ आज़ाद घूम रहा है।