कोरबा-जोहार छत्तीसगढ़।
देश में व्याप्त कोरोना महामारी के चलते कोई गरीब भूखा न रहे इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकार के सहयोग से गरीबों को नियमित मिलने वाले खाद्यान्न के अलावा अतिरिक्त खाद्यान्न की आपूर्ति की जा रही है लेकिन जिले के कई खाद्यान्न दुकानों में गरीबों के खाद्यान्न पर डाका मारा जा रहा है सोसायटी संचालक और खाद्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से खाद्यान्न सामग्री में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है जिसके कारण हितग्राहियों को आधा अधूरा खाद्यान्न मिल पा रहा है ऐसा ही मामला पोड़ी उपरोड़ा के ग्राम पंचायत कोरबी सिंधिया में देखने मिला जहां ग्रामीणों ने कलेक्टर को लिखित शिकायत करते हुए बताया है कि ग्राम पंचायत कोरबी सिंघिया में मां संतोषी स्व सहायता समूह के द्वारा उचित मूल्य की दुकान का संचालन किया जा रहा है किंतु इनके द्वारा माह अप्रैल मई और जून का अतिरिक्त चावल जिसमें पात्रता अनुसार दिया जाना था इनके द्वारा अप्रैल और मई का 10 किलो चावल वितरण किया गया वहीं चना 1 किलो के जगह आधा किलो वितरण किया गया साथ ही साथ मिट्टी तेल और शक्कर भी निर्धारित मूल्य से अधिक दिए गए ग्रामीणों के बार बार समझाइश के बाद भी स्व सहायता समूह द्वारा खाद्यान्न वितरण में गड़बड़ी सुधार नहीं लाया गया जिसके चलते एकजुट हुए ग्रामीणों ने गांव में एक बैठक में निर्णय लेते हुए कोरबा कलेक्टर से लिखित शिकायत की है इस पूरे मामले में स्व सहायता समूह की अध्यक्ष से बात की गई तो उन्होंने बताया कि खाद्य विभाग से कम आवंटन के चलते लोगों को कम राशन दिया गया वहीं ग्रामीणों ने स्व सहायता समूह की संचालिका पर यह भी आरोप लगाया कि गरीबी रेखा के कार्ड बनाने के लिए कई ग्रामीणों से 2-2 हजार रुपए लिए हैं जिसमें समूह की अध्यक्ष द्वारा पोड़ी उपरोड़ा की फूड इंस्पेक्टर उर्मिला गुप्ता को भी पैसा दिए जाने की भी बात कही गई लेकिन जिन ग्रामीणों ने पैसा दिया कुछ के कार्ड बने और कुछ के पैसा देने के बावजूद भी नहीं बने जिसके कारण ग्रामीणों में भारी आक्रोश है और विवाद बढ़ने के कारण एक फूड इंस्पेक्टर व दूसरा खाद्यान्न संचालक ने दुकान में ताले लगा दिए हैं फिलहाल इस मामले में एसडीएम पोड़ी उपरोड़ा ने ग्रामीणों को आश्वस्त करते हुए सोसायटी संचालक पर कार्रवाई की बात कही है ।
खाद्यान दुकान में 283 क्विंटल चावल कागजों में लेकिन खाद्यान दुकान में जीरो
लेकिन खाद्यान्न दुकानों में हो रहे भ्रष्टाचार में कहीं ना कहीं खाद्य विभाग भी शामिल है जिसका जीता जागता सबूत यह है कि ग्राम पंचायत कुटेश्वर नगोई में नए सरपंच ने अप्रैल माह में जब उचित मूल्य की दुकान का प्रभार संभाला तो उस वक्त ऑनलाइन स्टॉक में 283 कुंटल चावल और 918 लीटर मिट्टी तेल और चना भारी मात्रा में स्टॉक में होना बताया गया लेकिन उचित मूल्य की दुकान पर उपरोक्त सामग्री जीरो होने पर पंचायत द्वारा खाद्य विभाग को सूचना दी गई जिसके बाद फूड इंस्पेक्टर ने पंचनामा बनाकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं किया जाना फूड इस्पेक्टर की मिलीभगत और उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का प्रमाण दे रहा है ।
टेबलेट में अधिक चावल बता रहा लेकिन दिया जा रहा कम
इसी तरह जिले के अन्य ब्लॉक के पंचायतों में भी खाद्यान्न वितरण में गड़बड़ी की शिकायतें आ रही हैं जिसमें टेबलेट में हितग्राही के हिस्से में खाद्यान्न सामग्री अधिक बताई जा रही है लेकिन वास्तव में उन्हें अलग से लिस्ट बनाकर कम खाद्यान्न सामग्री का वितरण किया जा रहा है इसी तरह ऑनलाइन चेक करने पर लोगों को चना वितरण किया जाना बताया जा रहा है लेकिन हितग्राहियों को चना वितरण ही नहीं किया गया आखिर किसकी गलती है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मीडिया के सामने कोई भी बयान देने से भी बच रहे हैं ।
खाद्यान दुकानों में नहीं चप्पा रेट व निर्धारित वितरण लिस्ट
जिले की खाद्यान्न दुकानों द्वारा वितरण किया जा रहे राशन की लिस्ट भी नहीं चस्पा की गई है जिसके कारण लोगों में भ्रम की स्थित निर्मित हो रही है और लोग भ्रमित हो रहे हैं और सोसायटी संचालक इसका नाजायज फायदा उठा रहे हैं खाद्य विभाग के उच्च अधिकारियों को चाहिए कि इस पर कड़ाई से पालन करने के निर्देश दें जिससे हितग्राहियों को अपने राशन की जानकारी आसानी से मिल सके और भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगे ।