पत्थलगांव । आरएमए की नियुक्ति राज्य शासन का सही निर्णय त्रिवर्षीय चिकित्सा पाठ्यक्रम उत्तीर्ण छात्रों को हाईकोर्ट ने दिया राहत पिछले दो दशक से चले आ रहे इन्डियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम छत्तीसगढ़ शासन के केश में मंगलवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया जो कि तत्कालीन राज्य शासन द्वारा गांवों में चिकित्सा व्यवस्था के सुधार हेतु चालू किये गए त्रिवर्षीय चिकित्सा पाठ्यक्रम से संबंधित था। हाईकोर्ट ने कहा कि शासन ने त्रिवर्षीय चिकित्सा पाठ्यक्रम उत्तीर्ण छात्रों से जो कार्य लिया जा रहा है उसमें किसी नियम का उल्लंघन होता नजर नहीं आता। राज्य शासन ने बीते 16 तारीख को आरएमए (ग्रामीण चिकित्सा सहायक) से कार्य लेने हेतु पूर्णत: स्पष्ट नीति जारी कर दी थी। जिसे मंगलवार को अपने आदेश में माननीय हाइकोर्ट ने सही ठहराया है। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जो नीति बनाई गई है वह सही है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शासन स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार हेतु इस तरह के कदम उठा सकती है। अन्य संवर्गों जैसे फ ार्मासिस्टों ने भी आरएमए के ग्रेड पे एवं पद के स्तर को लेकर केस फ ाइल किया गया था, जिसमें कहा गया था कि आरएमए का पद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, नेत्र सहायक, एमएलटी, सीएचओ, आरएचओ इत्यादि संवर्ग से ऊपर है। इसे हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है।