जोहार छत्तीसगढ़-कोरबा। परिवार के पुरुष सदस्यों ने मुखाग्नि देने से किया इंकार तो पिता को मुखाग्नि देने छोटी बेटी हुई तैयारबदल रहा हैं और साथ ही बदल रही हैं समाज की सोच।नगर में पहली बार परंपराओं से हटकर एक बेटी ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया। मृतक का कोई बेटा नहीं था बल्कि दो बेटियां थीं शमशान पर उस समय लोगों के आंसू छलक पड़े, जब एक बेटी ने श्मशान में रूढ़ीवादी परंपराओं के बंधन को तोड़ते हुए अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। उसने बेटा बनकर हर फर्ज को पूरा किया, जिसकी हर किसी ने तारीफ की। अंतिम संस्कार में वह रोती रही, पापा को याद करती रही, लेकिन बेटे की कमी को हर तरह से पूरा किया। अंतिम संस्कार में पहुंचे लोगों ने कहा कि एक पिता के लिए अंतिम विदाई इससे अच्छी और क्या हो सकती हैं, जब पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाया। दरअसल, ज्यादातर ऐसी बातें होती हैं कि बेटा कुल का दीपक होता हैं, बेटे के बिना माता-पिता को मुखाग्नि कौन देगा ? लेकिन अब यह बातें अब बीते जमाने की हो गई, यह साबित किया हैं कुसमुंडा की बेटी ने रविवार को ऐसी ही पुरानी कुरीति एक बार फिर टूटी। द्विवेदी परिवार की छोटी बेटी प्रियंका द्विवेदी ने पिता को न सिर्फ मुखाग्नि दी बल्कि अंतिम संस्कार की हर वह रस्म निभाई, जिनकी कल्पना कभी एक पुत्र से की जाती थी। जानकारी के अनुसार कुसमुंडा निवासी एवं एसईसीएल कुसमुंडा में कार्यरत स्वर्गीय धर्मेंद्र द्विवेदी का कल शनिवार को बीमारी के चलते निधन हो गया। परिवार में धर्मेंद्र द्विवेदी उनकी पत्नी कमलेश द्विवेदी और दो बेटी ही है परिवार में बेटा नहीं होने के चलते दोनों बेटियों को द्विवेदी जी ने बेटों की तरह लाड प्यार देते हुए परवरिश की थी और उन्हें ही बेटों की तरह मानते थे स्वर्गीय धर्मेंद्र द्विवेदी की पत्नी कमलेश द्विवेदी कहती है कि समय के साथ सोच बदलने की जरूरत है। आज से समय में बेटा-बेटी बराबर है और हमारे परिवार में हम बेटी को बेटे सामान बराबर का दर्जा देते रहे हैं मृतक स्वर्गीय धर्मेंद्र द्विवेदी के बड़े भाई और भतीजे ने मुखाग्नि देने से किया इनकार तो बेटी हो गई तैयार स्वर्गीय धर्मेंद्र द्विवेदी के एक बड़े भाई और उनके बेटे हैं जिन्हें परिवार के द्वारा मुखाग्नि दिए जाने की बात कही गई लेकिन बड़े भाई और उसके बेटों ने मुखाग्नि देने से इनकार कर दिया जिसके बाद स्वर्गीय धर्मेंद्र द्विवेदी की दो बेटियों में से एक की शादी हो चुकी है तो वहीं छोटी बेटी प्रियंका द्विवेदी ने कहा कि हम दोनों बहनों की परवरिश बेटे की तरह की गई उसके पिता ने उनको बेटों की तरह पाला है, वो दोनों बहनें ही हैं, उनका कोई भाई नहीं है, उसके पिता ने कभी दोनों बहनों में किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं किया आज अगर बड़े पापा और भैया मुखाग्नि नहीं देना चाहते तो यह मेरा सौभाग्य है कि मैं अपने पापा को मुखाग्नि दूं बेटियां क्यों नहीं… उन्होंने कहा कि आज जमाना बदल गया है, पुरानी कुरीतियां रही हैं कि दाह संस्कार का काम केवल बेटे ही कर सकते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं है, जमाना बदल रहा है। जो काम बेटे कर सकते हैं, उस काम को बेटियां भी कर सकती हैं। आज लड़कीयों का जमाना हैं यह हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। हमने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया है और हम वह सभी कार्य करेंगे, जो एक बेटे को करनी चाहिए। इसके बाद सभी रिश्तेदारों ने एक राय होकर छोटी बेटी प्रियंका द्विवेदी को ही अंतिम संस्कार के लिए आगे किया और उसे ढांढ़स बंधाया।