जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़। पूरे देश में सूचना अधिकार कानून लागू है लेकिन धरमजयगढ़ के विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सूचना अधिकार कानून नहीं यहां पदस्थ बाबू का अलग कानून चलता है। इस आफिस में अगर कोई सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगा जाता है तो बाबू यह कहते हैं कि अभी 30 दिन नहीं हुआ न 30 दिन होगा तब बोलना ऐसा कहते रहते हैं। और अब 30 दिन नजीदीक आ जाये तो यहा कहते हुए जवाब दिया जाता है कि यहा जानकारी इस कार्यालय का नहीं है। जब सूचना अधिकार में मांगा गया जानकारी विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय का नहीं था तो आवेदक को मूलत: ही सूचना अधिकार का आवेदन को वापस आवेदक को क्यों नहीं दिया गया। पूरे दिन का इंतजार क्यों करवाया गया है। शुक्ला बाबू का यहा कोई पहला मामला नहीं है बड़े लंबे समय से एक ही स्थान में जमे रहने के कारण आज बीईओ आफिस के बाबू बुर्जूग शिक्षकों से भी सही तरीके से बात नहीं करते हैं कई शिक्षक तो इनको देखकर ही आफिस से चल देते हैं। आवेदक द्वारा जिस जानकारी को मांगा गया है वह जानकारी शिक्षा विभाग से संबंधित होने के बाद भी बीईओ आफिस के बाबू और सहायक जन सूचना अधिकारी आवेदक को जानकारी न देते हुए गुमरहा कर रहे हैं। अब सवाल उठता है कि सूचना अधिकार के तहत अगर कोई यह जानकारी मांगे कि फलना स्कूल में कितने दर्ज संख्या है तो इस कार्यालय के बाबू यह लिखकर देते हैं कि इसकी जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी से प्राप्त करें। अगर जिला शिक्षा अधिकारी से ही जानकारी प्राप्त करना है तो बीईओ इतने दिन तक सूचना अधिकार आवेदन का क्या कर रहे थे? क्या इस स्कूल के घपलाबाजी में इस आफिस का भी हाथ है? अगर ऐसा नहीं होगा तो फिर जानकारी देने में आनाकानी क्यों किया जा रहा है?