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शासन मौन प्रशासन मौन तो दोषी कौन….

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जोहार छत्तीसगढ़-महासमुंद। नदियों की पानी स्तर कम होते ही बेखौफ रूप से रेतो का आयात निर्यात होना ये आम बात हो गया है। जहा एक तरफ शासन से रेत की लीज लेने कई लोग खनिज विभाग का चक्कर काट रहे है और वही लोग बिना माउंटेन चैन व जेसीबी मशीन के बिना सहारा लेते हुए। मजदूरों का सहारा लेकर ट्रैक्टर ट्राली में भर कर बाहर डम्ब करते है व मशीनों का सहारा लेकर डम्फर व हाइवा में रेत भर बाहर की ओर निर्यात करते है जिससे कि एक अच्छी रकम उनको प्राप्त हो जाती है। तत्पश्चात इस तरह की गतिविधियों आपको देखने मिल ही जाता है । लेकिन कोई भी इसका खुलकर विरोध नही करता क्योंकि नदियों से बिना मशीनों का सहारा लिए कार्य हो रहा जिनमे किसी को भी आपत्ति नही होती । लोगो की इस प्रकार मंशा बनती है ये तो ग्राम पंचायत के विकाश के  लिये या स्वयं का उपयोग हेतु नदियों से रेत परिवहन किया जा रहा इतना सब देखने के बावजूद शासन की आंखों में पट्टी बंधी हुई प्रतीत होती है। इस तरह की कृत्यों को शासन यदि कड़ी कार्यवाही नही करती है तो इससे बड़ी लापरवाही और दूसरी नही हो सकती।

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