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मिरीगुड़ा पंचायत का एक और कारनामा अधूरा आवास को पूरा बताकर आरहण कर लिया राशि

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उमा यादव धरमजयगढ़।

विकासखण्ड मुख्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर बसा मिरीगुड़ा पंचायत में भारी भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है। ग्राम पंचायत मिरीगुड़ा को केन्द्र सरकार द्वारा लाखों रूपये रूर्बन योजना के तहत दिया है लेकिन सरपंच-सचिव द्वारा इस योजना को कमाई का योजना बनाकर रख दिया है। मिरीगुड़ा पंचायत में सरकारी योजनाओं को अधिकारी-कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों द्वारा भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ा दिया गया है। स्थानीय प्रशासन को चाहिए की उच्च स्तरीय जांच टीम बनाकर पंचायत द्वारा किये गये घटिया निर्माण कार्य की जांच कर दोषी अधिकारी-कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही करें ताकि शासन द्वारा दिये गये राशि का दुरूपयोग न कर सके। मिरीगुड़ा पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाये गये आवास को अधूरा होने के बाद भी फर्जी तरीके से जीओ टेकिंग कर राशि का आहरण कर लिया गया। सरकार द्वारा कोई भी बिना छत के न रहे इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना लागू किया है लेकिन इस पंचायत के जनप्रतिनिधि एवं सचिव ने इस योजा का बंठाधार कर रख दिया है। मिरीगुड़ा पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है लेकिन सभी के घर में सरपंच-सचिव द्वारा शौचालय नहीं बनवाया है। हमारे टीम को जानकारी मिला कि ग्राम पंचायत मिरीगुड़ा में शौचालय निर्माण में खुलकर भ्रष्टाचार किया गया है शिकायत मिलने पर हमारे टीम ने मिरीगुड़ा पंचायत में दौरा करने पर पाये कि इस पंचायत में सरपंच सचिव ने पंचायत के कार्य को ठेका प्रथा से करवाया गया है जिसका नतीजा है कि अधिकत्तर शौचालय उपयोग करने योग नहीं है। मिरीगुड़ के रांझपारा के अधिकत्तर घरों में शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है ग्रामीणों ने बताया कि जब सरपंच-सचिव से शौचालय बनवाने के लिए बोलने पर सरपंच-सचिव द्वारा कुछ भी नहीं बोला जाता है। शौचालय नहीं होने के कारण ग्रामीणों को शौच करने के लिए खुले में जाना पड़ता है। हाथी प्रभावित क्षेत्र होने के कारण ग्रामीणों को जंगल की ओर शौच करने जाने पर हमेशा हाथी का डर समाया रहता है। लेकिन ग्रामीण करें तो करें क्या?
अधिकारी क्यों नहीं करते कार्यवाही?
सबसे मजेदार बात है कि ग्राम पंचायत की भ्रष्टाचार के बारे में इतना अधिक समाचार प्रकाशन होने के बाद भी संबंधित अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगना कई सवाल को जन्म दे रहा है। ग्रामीणों ने अधिकारियों पर आरोप लगाते हैं कि अधिकारी सरपंच-सचिव से कमीशन लेते हैं इसके चलते शिकायत होने के बाद भी अधिकारी ऐसे लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं करते हैं। ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्य देखने से तो ऐसा लगता है कि ग्रामीणों का आरोप शत्-प्रतिशत सही है क्योंकि इतना अधिक भ्रष्टाचार सरपंच-सचिव द्वारा करने के बाद भी इनके घटिया निर्माण कार्य की जांच करने वाला कोई नहीं होता है। जिसका नतीजा है कि इस तरह की घटिया निर्माण हो रहा है।

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