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हाथियों के बढ़ते उत्पात से डरे भटगांव के ग्रामीणों ने मांगी सुरक्षा के संसाधन * कहा वन विभाग की हर योजना फेल, लोन लेकर लगाई फसल को हाथी ने किया चौपट

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प्रीतम जायसवाल कोरबा। हाथियों के बढ़ते उत्पात से डरे भटगांव के ग्रामीणों ने सोमवार को कलेक्टोरेट पहुंचकर सुरक्षा के संसाधन मांगे हैं। ताकि वे अपना बचाव कर सकें। उन्होंने कहा कि हाथियों के उत्पात को रोकने वन विभाग की हर योजना फेल हो गई है। इससे वनांचल के हाथी प्रभावित क्षेत्र के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। लोन लेकर फ सल लगाए थे। जिसे भी हाथियों ने चौपट कर दिया। वर्ष 2000 में हाथी रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वनमंडल की सीमा से मांड नदी पारकर कोरबा वनमंडल में प्रवेश किए थे। तब से हाथियों का विचरण है। समय के साथ अब तो हाथियों का विचरण कटघोरा वनमंडल में भी है। बालको, लेमरू परिक्षेत्र से होकर हाथी अब यहां भी आ जाते हैं। इन दिनों कटघोरा वनमंडल में झुंड से अलग घूम रहा दंतैल हाथी का उत्पात बढ़ गया है। इस वजह से वन विभाग की मुसीबतें बढ़ गई है। माना यह भी जाता है कि दल से अलग घूमने पर हाथी अधिक आक्रामक हो जाता है। ऐसे में दंतैल को शांत रखना वन विभाग के चुनौती बना हुआ है। हाथियों के उत्पात के बीच सोमवार को कोरबा ब्लॉक चैतमा पंचायत के आश्रित ग्राम भटगांव के ग्रामीण कलेक्टोरेट पहुंचे थे। हाथियों से बचाव के लिए सुरक्षा संसाधन की मांग करते हुए कहा कि ग्रामीणों ने कहा कि लोन लेकर खरीफ सीजन में खेतों में धान की फ सल लगाई थी। जिसे हाथी ने चौपट कर दिया है। झुंड के खेतों में चलने से ही फ सल बर्बाद हो रही है। उनके सामने जीविकोपार्जन की समस्या होने के साथ कर्ज चुकाने की चिंता है। वन विभाग नुकसानी का आंकलन लगाकर क्षतिपूर्ति राशि देती है। लेकिन इसमें भी देरी होती है। कई बार दफ्तरों के चक्कर लगाना पड़ता है। इसके बाद भी सभी प्रभावितों को मुआवजा नहीं मिल पाता। फ सलों की सुरक्षा के लिए फेसिंग व खुद के बचाव के लिए टार्च, मशाल व अन्य सामान उपलब्ध कराया जाए। ताकि दहशत के साए में जीवन जीना न पड़े। कलेक्टोरेट ज्ञापन देने नव किसान बहुउद्देशीय सहकारी समिति मर्यादित के अशोक कुमार, इतवार सिंह, बचन सिंह, जेठू राम, दिलबोध, नकुल, रीघू सिंह, रवि सिंह, जेठ सिंह, श्रवण सिंह समेत अन्य पहुंचे थे।
हाथियों ने उखाड़ा पाइप, नहीं ले पा रहे सब्जी की फ सल
भटगांव के किसान नकुल सिंह ने टपक पद्धति से सब्जी की फ सलों की सिंचाई के लिए पाइप लगाकर ड्रिप तैयार किया था। उसने बताया कि उसकी बाड़ी में लगी सब्जी की फ सल में पानी की तेज धार से सिंचाई नहीं कर सकते। फ सल जड़ समेत उखडऩे का डर रहता है। इस पद्धति से सब्जी में पानी टपकते हुए गिरते रहता है। इसलिए उसने बाड़ी में ड्रिप तैयार किया था। ताकि सब्जी का बेहतर उत्पादन कर अर्थव्यवस्था मजबूत कर सकें। लेकिन हाथियों ने बाड़ी में उत्पात मचाते हुए पाइप को तहस.नहस कर दिया। अब वे सब्जी की फ सल नहीं ले पा रहे हैं। अभी का मुआवजा तो देर-सबेर मिल जाएगा लेकिन भविष्य में फि र ड्रिप तैयार करने से परेशानी होगी।
झुंड में घूम रहे हाथियों के चलने से ही फ सल हो गई बर्बाद
गांव के ही बहेतरीन बाई ने बताया कि झुंड में घूम रहे हाथियों के चलने से ही फसल बर्बाद हो गई है। लोन लेकर वह खेतों में धान की फ सल लगाई थी। जिसे हाथियों ने बर्बाद कर दिया। मुआवजा देने में वन विभाग गंभीर नहीं है। कई बार दफ्तरों का चक्कर काटना पड़ता है। क्षतिपूर्ति राशि देने का एक समय.सीमा निर्धारित हो। ताकि वन विभाग के अधिकारी.कर्मचारी मनमानी न कर सकें। कई बार ऊपरी कमाई के लिए भी मुआवजे की राशि को लटका कर रखा जाता है।

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