धरमजयगढ़/कापू। विडंबना है कि धरमजयगढ़ विकासखण्ड के कापू में संचालित हो रहे शराब दुकान और स्कूल की दूरी मात्र 50 मीटर है। सुप्रीम कोर्ट का शक्त निर्देश है कि शराब दुकान रहावास क्षेत्र से बाहर होना चाहिए एवं स्कूल के पास किसी भी स्थिति में नहीं होना चाहिए। लेकिन कापू में 3 ऐसे स्कूल संचालित हो रहे हैं जो सरकारी शराब दुकान से मात्र 50 मीटर की दूरी पर है। जिला कलेक्टर ने सभी शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिया था कि स्कूल से 100 मीटर की दूरी पर शराब दुकान तो क्या पान गुटखा का ठेला भी नहीं होना चाहिए लेकिन धरमजयगढ़ विकासखण्ड में कलेक्टर के आदेश के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट का भी धज्जियां उड़ाई जा रही है। कापू शराब दुकान के बगल में जो स्कूल संचालित हो रहे हैं उसमें से एक प्राईवेट स्कूल है बाकि दो स्कूल सरकारी है। सरकारी स्कूल वर्षों से संचालित हो रहे हैं लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अपने उच्च अधिकरियों के आदेश का कोई परवाह नहीं है जिसका ताजा उदाहरण है कापू में संचालित हो रहे शराब दुकान और स्कूलों की दूरी मात्र 50 मीटर है। सेंट जाोहन्नेस स्कूल तीन साल से संचालित हो रहे हैं जबकि प्राथमिक शाला और पूर्व माध्यमिक शाला वर्षों से इसी शराब दुकान के बगल में संचालित हो रहे हैं। शिक्षा विभाग कभी ये जानना नहीं चाह है कि शराब दुकान स्कूल के बगल में होने से बच्चों पर क्या असर पड़ रहा है। विकस खण्ड शिक्षा अधिकारी को चाहिए था

कि शराब दुकान को हटाने क लिए जिला कलेक्टर को लिखित में देते लेकिन शिक्षा अधिकारी व उनके अधिनस्थ कर्मचारियों ने ऐसे कुछ भी नहीं किया है। इनको तो सिर्फ अपने वेतन से मतलब होता है चाहे बच्चे जाए भाड़ में। जब प्राईवेट स्कूल को संचालित करने के लिए अनुमति मांगा था बत क्या शिक्षा विभाग के अधिकारी को नहीं मालूम था जिस जगह स्कूल संचालित करने के लिए अनुमति मांग रहे हैं वहां से शराब दुकान की दूरी मात्र 50 मीटर है यह सब जानने के बाद भी स्कूल खोलने की अनुमति देना कई सवाल को जन्म दे रहा है। एक बार के लिए मान लेते हैं प्राईवेट स्कूल संचालक ने शराब दुकान के बारे में जानकारी नहीं दिया हो अनुमति देने से पूर्व शिक्षा विभाग द्वारा निरीक्षण करवाया जाता है पूरी सुविधा का क्या स्कूली बच्चों के लिए पर्याप्त बैंठने का जगह है कि नहीं बच्चों के खेलने के लिए खेल मैदान है या नहीं पानी की क्या व्यवस्था है स्कूल में शिक्षकों कि क्या स्थिति है इसक आलावा और भी निरीक्षण टीम द्वारा जांच कर प्रतिवेदन देते हैं तो क्या जांच टीम को यह शराब दुकान नहीं दिखा। इसे कहते अंधेर नगरी चौपट राजा।
स्कूली बच्चों के पैर में चुभते हैं कांच
सेंट जोहन्नेस स्कूल के बच्चों ने हमारी टीम को बताये कि लोग शराब पीकर बोतल को तोड़कर हमारे स्कूल मैदान मेें फेंकते हैं जो हम लोगों के पैर में चुभ जाता है। अब आप जरा सोचिए की हमारे ये छोटे-छोटे बच्चों पर क्या असर पड़ रहा होगा जो अभी ठीक से कुछ समझ भी नहीं सकते हैं वो खुद प्रेस को बता रहे हैं कि शराब दुकान से कितना परेशानी हो रहे हैं लेकिन ये अधिकारियों को इन बच्चों से कोई लेना देना नहीं है इनको तो बस इनके वेतन से मतलब है।
सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने नहीं दी शराब दुकान की जानकारी
शराब दुकान से 50 मीटर से भी कम दूरी पर संचालित हो रहे प्राथमिक शाला और पूर्व माध्यमिक शाला के प्रधान पाठकों ने आज तक अपने अधिकारियों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दिया है कि हमारे स्कूल से शराब दुकान की दूरी 100 मीटर से कम है इसे स्कूल के पास से हटाया जाये। सब जानते हैं कि शराब दुकान बगल में होने से स्कूली छात्र-छात्राओं पर क्या असर पड़ रहा है ये सब जानते हुए भी चुप हैं। विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी को चाहिए की ऐसे शिक्षकों पर तत्काल जांच कर कार्यवाही हेतु अपने उच्च अधिकारी को प्रतिवेदन दे। ताकि स्कूली बच्चों के जिंदगी के साथ खिलवाड़ न कर सकें।
मंै स्वयं जाकर देखता हूं कितने दूरी पर स्कूल और शराब दुकान है अगर शराब दुकान स्कूल के पास है तो मैं शासन को शराब दुकान हटाने के लिए पत्रचार करूंगा।
सी.आर. सिदार विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी धरमजयगढ़
स्कूल रेंट में है हमारे खुद का भवन नहीं है। सरकारी स्कूल तो हमारे स्कूल से भी पास में शराब दुकान से।
प्रेम सिंह प्रधान पाठक सेंट जोहन्नेस स्कूल