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लुडो और कैरम खेलकर समय गुजर रहे गंजपुर उच्चतर माध्यमिक शाला के छात्र-छात्रा * 4 साल पहले खुला स्कूल लेकिन अभी तक नहीं बना शाला भवन * पंचायत भवन में दो शिक्षक के भरोसे अपना भविष्य गढ़़ रहे हैं गंजपुर के बच्चे

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अशोक भगत, लैलूंगा। शिक्षा व्यवस्था को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाला विकास खण्ड लैलूंगा में शिक्षा व्यवस्था किस कदर चरमरा गई है यह आप चित्र देखकर ही आसानी से समझ सकते हैं। आज हम बात कर रहे हैं लैलूंगा विकास खण्ड के ग्राम पंचायत गंजपुर की इस पंचायत में 5 स्कूल संचालित है प्राथमिक शाला 2, पूर्व माध्यमिक शाला 2 और एक उच्चतर माध्यमिक शाला है। हमारी टीम ने जब स्कूलों का दौरा करने और शिक्षा व्यवस्था का हाल जानने की कोशिश की गई तो सबसे पहले हमने 2.30 मिनट के आसपास गंजपुर उच्चतर माध्यमिक शाला में प्रवेश करने पर देखा गया कि इस शाला के सभी छात्र-छात्रा क्लास रूम लुडो, कैरम खेलकर समय बीता रहे थे। ठीक उच्चतर माध्यमिक शाला के बगल में ही प्राथमिक शाला और पूर्व माध्यमिक शाला है इन दोनों स्कूल के बच्चे भी बिन शिक्षक के खेलते नजर आये वहीं प्राथमिक शाला के एक बच्चे ने बताये कि स्कूल भवन के बगल में जो बिजली खम्भा है उसमें करंट आता है जिसको हम लोग छूकर देखते हैं खम्भा झटका मारता है कि नहीं। अब सोचिए कि इन स्कूलों के शिक्षक कितना लपरवाह है।

स्कूली बच्चों से पूछने पर बताए कि सर लोग आज मीटिंग कर रहे हैं। शिक्षकों से पूछने पर कि क्या अभी खेलने का छूट्टी है तो उन्होंने बताया कि नहीं खेलने का छूट्टी नहीं हम लोग मीटिंग कर रहे हैं। और हमने भी देखा कि तीनों स्कूल के शिक्षक एक साथ कुछ ग्रामीणों के साथ मीटिंग कर रहे थे। लेकिन सवाल यह उठता है कि बैठक में पूरे शिक्षकों को बुला लेना उचित है और अगर बूला भी लिए थे तो स्कूली बच्चों को पढ़ाई के समय में लुडो और कैरम खेलने के बजाए कुछ पढ़ाई के लिए वर्क दिया गया होता तो क्या होता? सबसे मजेदार बात है कि स्कूली छात्र-छात्रा घर से ही लुडो अपने साथ लेकर आते हैं और शिक्षक मजे से कुर्सी में बैठकर समय पर करते हैं। शाला भवन नहीं होने के कारण गंजपुर के उच्चतर माध्यमिक शाला को पंचायत भवन मेें लगाया जाता है और ठीक पंचायत भवन के किनारे लगभग 5 से 6 फीट की उचाई से प्राथमिक शाला के बच्चे उछल कुद करते है। जो हमेशा कि तरह आज भी झलांग लगा रहे थे और स्कूल के शिक्षक देखकर मजा लेकर हंस रहे थे जब शिक्षक से पुछा गया कि आप के सामने इतने उचाई से छलांग लगा रहा है आप रोक नहीं रहे हैं तो शिक्षक का जवाब था क्या करें बच्चे बात नहीं सूनते हंै करने दो कुछ होगा तब पता चलेगा, ये था उस स्कूल के शिक्षक का जवाब।

बात यही पर खत्म नहीं होता है उसी टीचर को बच्चे बोल रहे हैं कि सर वो बिजली खम्भा करेंट मारता है। हम लोग छूकर देखते हैं झटका मारता है कि नहीं। एक बात तो साफ है कि समाचार पत्र में कितना भी समाचार प्रकाशित हो जाये ये शिक्षक नहीं सुधरने वाले नहीं है क्योंकि इनके ऊपर जो इनके आका बैंठे है इनको सुरक्षा देने के लिए। वहीं गंजपुर पंचायत के दूसरे मोहल्ले में संचालित होने वाला प्राथमिक शाला और पूर्व माध्यमिक शाला में पढ़ाई तो ठीक था लेकिन मध्यान्ह भोजन का हाल बूरा था महिला समूह वाले घर से खाना बनाकर लाते है जिससे स्कूली बच्चों का पेंट नहीं भरता है।

सिर्फ दाल के साथ खाना पड़ता है। वहीं वूर्व माध्यमिक शाला के शिक्षक ने बताया कि एक ही टीचर होने के कारण सभी बच्चों को एक साथ बैंठाकर पढ़ाते हैं माध्यमिक शाला में रहने को तो दो टीचर पदस्थ हैं लेकिन एक टीचर को सीएससी बनाकर रखे हैं अब आप ही सोचिए की स्कूल में क्या पढ़ाई होती होगी शिक्षा अधिकारी कितना लपरवाह है कि दो में से एक टीचर को सीएससी बनाकर स्कूल को बंठाधार कर दिया ।

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