जोहार छत्तीसगढ़-बेमेतरा।
शिक्षा विभाग में एक चौंकाने वाला घोटाला उजागर हुआ है, जिसने गरीबों के शिक्षा अधिकार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, बेमेतरा में पदस्थ सहायक ग्रेड-02 प्रवीण सिंह राजपूत को फर्जी दस्तावेजों के सहारे अपनी बेटी का आर.टी.ई. के तहत नामी निजी स्कूल में दाखिला दिलाने के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
क्या है पूरा मामला
सूत्रों के अनुसार, प्रवीण सिंह ने अपनी मां रचना राजपूत के नाम से एक राशन कार्ड बनवाया और उसमें खुद व अपनी पत्नी का नाम भी जोड़ डाला। फिर उसी आधार पर अपनी बेटी शेल्वी सिंह का दाखिला बेमेतरा के एक महंगे निजी स्कूल में आर.टी.ई. (नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार) योजना के तहत करवा दिया—जबकि वे खुद शासकीय सेवक हैं और इस योजना के लिए अपात्र हैं।
कलेक्टर कार्यालय में हुआ पर्दाफाश
यह फर्जीवाड़ा उस समय सामने आया जब आयुष पाण्डेय नामक युवक ने कलेक्टर को इसकी लिखित शिकायत दी। जांच में आरोप सही पाए गए और प्रवीण सिंह के खिलाफ छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया गया।
क्या ये अकेला मामला है
यह मामला उजागर होते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। अब सवाल उठने लगे हैं—क्या और भी सरकारी कर्मचारी गरीबों का हक मार रहे हैं? क्या ये केवल एक पकड़ा गया चेहरा है, और असल तस्वीर कहीं ज्यादा भयावह है।
प्रशासन सख्त, जनता हैरान
प्रशासन ने इसे चेतावनी भरी कार्रवाई बताया है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो अब जरूरत है पूरे सिस्टम की गहराई से जांच करने की। वरना आर.टी.ई. जैसी जनकल्याणकारी योजनाएं केवल कागजों में रह जाएंगी।