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आंगनबाड़ी कार्यकर्ता डकार रहे बच्चों का पोषण आहार, राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र शारीरिक एवं मानसिक विकास से हो रहे वंछित …

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जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
शासन द्वारा पहुंच से पहुंच विहीन क्षेत्र में भी आंगनबाड़ी केन्द्र स्थापना किया गया है। ताकि बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास हो सके जिससे वह प्राथमिक स्कूल में बेहतर तरीके से शिक्षा प्राप्त कर सके। इस उद्देश्य से आंगनबाड़ी केन्द्र द्वारा 3 से 6 वर्ष के बच्चों को खेल-खेल में अनौपचारिक शिक्षा दी जाती है। इसके साथ-साथ आंगनबाड़ी केन्द्र में और भी अनेक सेवाएं दी जाती है, जैसे गर्भवती और शिशुवती माताओं को पूरक पोषण आहार प्रदान करना, कुपोषित बच्चों को संदर्भ सेवाएं प्राप्त करने में सहयोग करना एवं आंगनबाड़ी केन्द्र में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा किए जा रहे टीकाकरण एवं स्वास्थ्य जांच का लाभ हितग्राही को दिलाना। आज भी ऐसे कई क्षेत्र है जहां आंगनबाड़ी केन्द्र तो स्थापित है और इन सारी सेवाओं का लाभ मिल रहा है, लेकिन सिर्फ और सिर्फ कागजी रिकार्ड में और ऑनलाईन रिपोर्ट में। आज हम आपको एक ऐसी आंगनबाड़ी केन्द्र का दास्तां बताने जा रहे हैं जिसके बारे मेंं सुनकर आपको हैरानी होगी। हम आपको बता दे पारेमेर का एक आश्रित ग्राम है कौहाडीह जहां पहुंचने के लिए पहाड़ के पथरीले भरे रास्ते पारकर पहाड़ की ऊंचाई चढऩा पड़ता है। जहां राष्ट्रपति के दत्तकपुत्र निवास करते हैं। पर अफसोस ये राष्ट्रपति के दत्तकपुत्र आंगनबाड़ी में मिलने वाले सभी सेवाओं से पूरी तरह वंछित हैं। क्योंकि यहां पदस्थ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आंगनबाड़ी खोलती ही नहीं है। महीने में एक या दो दिन ही आंगनबाड़ी खुला नजर आता है। आंगनबाड़ी केन्द्र में कार्यकर्ता और सहायिका दोनों पदस्थ होने के बावजूद कौहाडीह के बच्चों को आंगनबाड़ी में मिलने वाली सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका दोनों मिलकर नन्हें बच्चों का आहार डकार रहे हैं, और नन्हें बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर बना रहें हैं। और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। बाल विकास और वृद्धि में सहायता प्रदान करने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्र अत्यंत महत्वपूर्ण है। कौहाडीह पहुंचविहीन क्षेत्र होने के कारण उच्च अधिकारियों का जाना नामुमकिन सा होता है। इसी बात का भरपूर फायदा यहां पदस्थ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका उठा रहें हैं। मजेदार बात तो यह है कि जब यह आंगनबाड़ी खुलता ही नहीं है तो फिर बच्चों का पोषण आहार कहां जाता है। और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों की उपस्थिति पंजी कैसे संधारण करती हैं? इससे तो यह साफ नजर आता है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आराम से घर बैठे बच्चों की उपस्थिति भरती है और ऑनलाईन रिपोर्ट भी करती है। एक तरफ शासन राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों को हर क्षेत्र में अव्बल रखना चाहता है लेकिन ऐसे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के कारण नन्हें बच्चों के नींव ही डगमगा रहे हैं। उच्च अधिकारियों को चाहिए कि ऐसे लापरवाह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पर उचित कार्यवाही करें ताकि शासन द्वारा दिए जा रहे सेवाओं का लाभ राष्ट्रपति के दत्तकपुत्र उठा सके और उनका भविष्य उज्जवल हो सके।

* जब इस संबंध में शासकीय प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक सहदेव एक्का से बात की गई तब उन्होंने बताया की मैं प्रतिदिन आता हूं और देखता हूं मैडम नहीं आती, कभी-कभी 1-2 दिन आती है। जब आंगनबाड़ी खुलता है तब बच्चें तो आते हैं पर मैडम नहीं आती जिसके कारण मंै ही उन्हें पढ़ा देता हूं।

क्या कहती है आंगनवाड़ी कार्यकर्ता?

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अनिमा तिर्की से बात की गई तब उन्होंने बताया की मीटिंग के कारण वह कभी-कभी आंगनबाड़ी नहीं जा पाती हैं बाकी समय जाती है।

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