जोहार छत्तीसगढ़-रतनपुर।
कहते है कि स्थायी ज्ञान अनुभव से प्राप्त होता है, नई शिक्षा नीति 2020 में भी बच्चों को अनुभव आधारित शिक्षा व स्थानीय कुशल कारीगर अर्थात पूर्व व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया है।शासकीय प्राथमिक शाला तिलकडीह किसी कुशल खिलाड़ी की तरह आल राउंडर है, यहां के बच्चे अंग्रेजी भाषा सहित गणित कौशल में परांगत हैं। मौखिक अभिव्यक्ति कौशल और अनुभव आधारित शिक्षा के लिए यहां के शिक्षक बलदाऊ सिंह श्याम भगीरथ प्रयास कर रहे हैं। विगत दिनों ग्राम जमुनाही तिलकडीह से 5 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत पोड़ी के अंतर्गत नवापारा एक ऐसा मुहल्ला है जहां घुमंतू या घुम्मकड़ जीवन जीने वाले पारधी जनजाति के लोग रहते हैं,जो अपनी पारंपरिक पेशा छिन (छिंद)के पत्तों से झाडू व चटाई, शादी के लिए मौर(मुकुट) बनाने का कार्य करते हैं।जमुनाही तिलकडीह के बच्चों ने इस कार्य को प्रत्यक्ष रूप से करीब से देखा व शिक्षक बलदाऊ सिंह श्याम ने इनसे खास बातचीत की। बच्चों ने शिक्षक के साथ इनका जीवन यापन का तरीका एवं रहन सहन के बारे में जानकारी प्राप्त की।साथ ही अपनी जनजाति के रीति-रिवाज व पंरपरा से भी अवगत कराया।