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सुशासन के काल में गाय हाय हाय, गौवंश के दुर्गति का जिम्मेदार कौन?

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जोहार छत्तीसगढ़-बलौदाबाजार।
गाय भारत का एक महत्वपूर्ण पशु है, हिंदू धर्मावलंबियों के लिए यह पूज्यनीय है और इसे गौ माता की संज्ञा दी गई जाती है भारत में गाय की पौराणिक कथा, आर्थिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। पुराणों के अनुसार गाय की हत्या, यह जघन्य पाप है। भगवान शिव की सवारी नंदी गाय हैं। धार्मिक और सामाजिक तौर पर गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। तो वही दूसरी ओर पिछले कुछ समय से गाय के जीवन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जिसका प्रत्यक्ष उदहारण जिले में हुए दो घटना पहली मरदा मे 2 अगस्त को 14 मवेशियों की मौत और दूसरा घटना कोसमंदा गातापार मे 23 मवेशियों की मौत जिला बलौदाबाजार भाटापारा अभी कुछ समय से आये दिन बड़ी बड़ी मुश्किलों का सामना कर रहा है मानो जिला बलौदाबाजार भाटापारा किसी प्रकार से ग्रहण लग गया हो जिला आगजनी मामले से उबरने के प्रयास में है तो कुछ नए अन्य घटनाएं मुश्किलों से उबरने के लिए समस्या पैदा कर देती है कुछ अन्य समस्यायों में इस प्रकार की घटनाओं के श्रेणी मे आते हंै हो रहे घटनाओं से हाले समय में बलौदाबाजार जिला राज्य के हॉटस्पॉट जिले जैसा प्रतीत हो रहा है जिला बलौदाबाजार राज्य की राजनीती में विषयबिंदु बनने के लिए मजबूर हो जा रहा है। राज्य में जुलाई माह लगते ही कृषि कार्य प्रारम्भ हो जाते है फि र भी सरकार आज पर्यंत गौठान और गौ अभ्यारण पर निर्णय नहीं ले पायी जिसके कारण स्थानीय प्रशासन पंचायतों में मवेशियों के रखरखाव के लिए कोई मजबूत कार्यवाही नहीं कर पा रही है। जिले के पंचायतों के ग्रामीण जनदर्शन में लिखित शिकायत लेकर समस्या का हल करने मिलने जाते हैं किन्तु राज्य सरकार के स्पष्ट निर्णय नहीं होने के कारण टेम्परी व्यवस्था करते हंै किसान अपने फ सल के लिए खेतों को घेर रखे है फि र भी गावों में आवारा मवेशियों की संख्या ज्यादा होने के कारण नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। आज भी जिले मे ह्रदयविदारक घटना सामने आयी है जिले मे जिस प्रकार से मवेशियों का दुर्गति होने जैसा मामला सामने आ रहा है भावी समय में बढ़ती घटनाओं के कारण मवेशियों के अस्तित्व पर बात सामने आने जैसा प्रतीत हो सकता है बलौदाबाजार जिले में गातापार मार्ग में आज सुबह हैरत में डालने वाला नजारा देखने में आया है। सुबह राहगीरों को 23 गायों की लाशें सड़क में बिछी मिली है। जिले में एक बार फि र से बड़ी संख्या में गोवंश मृत मिले है। जिले के तहसील पलारी अंतर्गत ग्राम गातापार से कोसमंदी अछोली मार्ग पर सड़क किनारे मृत अवस्था में 23 गौवंश मिलने से सनसनी फैल गई है। सूचना मिलते ही प्रशाशन के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए। जिसमें तहसीलदार, जनपद सीईओ, वेटनरी डॉक्टर के साथ ही पुलिस विभाग की टीम मौके पर पहुंची है। इतनी बड़ी संख्या में गायों की मौत कैसे हुई, यह तो अभी पता नहीं चल पाया है, लेकिन कहीं ना कहीं इन गायों को बाहर से लाकर गांव के आउटर में सड़क के किनारे फेंका गया है, ऐसा प्रतीत हो रहा है। इन सभी गायों को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया है। उसके बाद इन्हें वहीं गड्ढा खोदकर दफना दी गयी। मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारी ने बताया किए अज्ञात व्यक्ति पर एफआईआर दर्ज कर विवेचना की जा रही है जल्द ही आरोपियों को गिरप्तारी होंगी।

मवेशी को रखने स्थानीय समाज का विचार

भारत में वैदिक काल से ही गाय का महत्व रहा है। आरम्भ में आदान-प्रदान एवं विनिमय आदि के माध्यम के रूप में गाय उपयोग होता था और मनुष्य की समृद्धि की गणना उसकी गोसंख्या से की जाती थी। हिन्दू धार्मिक दृष्टि से भी गाय पवित्र मानी जाती रही है लेकिन आज पशुपालक घर में पशु रखने का विचार न के बराबर हो रहा है आज की स्थिति मे मवेशियों से मानव केवल और केवल व्यक्तिगत स्वार्थ चाह रहा है अगर गाय दूध दे रही है तब तक वह गाय उस किसान का है जैसे ही गाय दूध देना बंद करता है वह गाय और उनका बछड़ा आवारा मवेशियों की गिनती होने लगता है आज समाज की सोच का स्तर गिरता जा रहा है जिसकी कल्पना करना अशोभनीय प्रतीत होता है। आज के समय में कृषि कार्य में आधुनिकरण मवेशियों के लिए अभिशाप बनता नजर आ रहा है किसान परंपरागत खेती को पूरी तरह से भूलता जा रहा है किसान अब पूरी तरह से फ र्टिलाइजर पर निर्भर रहना चाहता है गोबर खाद का उपयोग नहीं करना चाह रहा है जिसके कारण मवेशियों पर ध्यान देना छोड़ रहा है जिसके कारण चक्रिय व्यवस्था समाप्त होने के कगार पर है।

 

यह भी समस्या गंभीर हो चुकी है

ध्यान रहे कि प्रदेश की सड़कों पर मवेशियों के जमघट से होने वाली परेशानियों को लेकर वर्ष 2019 में जनहित याचिकाएं लगाई गई थी। तब से लेकर अब तक हाईकोर्ट ने कई बार दिशा-निर्देश जारी किए हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने मार्च 2024 में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, एनएचएआई से जवाब मांगा था। अभी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बरसात शुरू होते ही सड़कों पर मवेशी नजर आने लगे हैं। यह शहर ही नहीं, पूरे प्रदेश की समस्या है। अब यह गंभीर हो चुकी है। इसे संयुक्त प्रयास से ही समाधान किया जा सकता है।

किनका क्या-क्या कहना है

गौठान बंद करना राज्य सरकार की सबसे बड़ी गलती है मवेशियों की मृत्यु का जिम्मेदार भाजपा सरकार है।
हितेंद्र ठाकुर, जिलाध्यक्ष कांग्रेस कमेटी बलौदाबाजार भाटापारा

* प्रथम दृष्टिया मालूम पड़ता है कि ये सभी मवेशी करीब 15 से 20 घंटे किसी बंद कमरे एवं छोटे घनत्व वाले जगह मेंं रहे हंै लेकिन लगभग सभी मवेशियों की जीभ बाहर निकली हुई है इससे यही लगता है कि सभी मवेशीयो की मृत्यु दम घुटने से हुआ है।
डॉ. नरेन्द्र सिंह, जिला पशु चिकित्सा अधिकारी, जिला बलौदाबाजार भाटापारा

* उक्त मामले पर सूचना मिलते ही जिला प्रशासन के निर्देश पर राजस्व पुलिस पशु चिकित्सा एवं जनपद द्वारा मृत पशुओं को उचित प्रबंधन किया गया है।
देवेंद्र नेताम, तहसीलदार

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