जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
धरमजयगढ़ में वन विभाग के अंतर्गत आने वाले भूमि में लम्बे समय से पेड़ काटकर जमीन कब्जाने का खेल चल रहा हैं। जिस पर वन विभाग कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। धरमजयगढ़ रेंज के दुलियामुड़ा और कोईलार क्षेत्र के जंगलो में अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हो रही है। पेड़ काटने आए लोगों की सूचना वन विभाग को देने पर भी कोई कार्यवाही को तैयार नहीं है। दुलियामुड़ा के पास स्थित जंगल में करीब 30-40 एकड़ भूमि पर भू-माफि याओं द्वारा कब्जा करने के नियत से हजारों पेड़ों की बली चढ़ा दी गई। जंगल की कटाई की जानकारी लगने पर हमार प्रतिनिधि समाचार की सच्चाई जानने जब दुलियामुड़ा जंगल गये तो देखा कि उस जगह पर 3 सायकल मौजूद है, और आस पास झाडिय़ों में कई लोग छुपे हुए थे। तब हमारे प्रतिनिधि द्वारा धरमजयगढ़ रेंज के रेंजर आशीष सोनवानी से फ ोन के माध्यम से पेड़ कटाई की जानकारी दी गई, तो रेंजर ने बताया कि मैं छुट्टी में आप डिप्टी रेंजर से बात कीजिए। तब हमारे द्वारा डिप्टी रेंजर अश्वनी दुबे को फ ोन के माध्यम से पूरी जानकारी दी गई लेकिन डिप्टी रेंजर कार्यवाही करने में किसी प्रकार की रूचि जाहिर नहीं की। तब हमारे द्वारा डीएफओ को पूरी जानकारी दी गई तब डीएफओ जोगावत ने तत्काल इसकी जांच करवाने की बात कही। 2-3 घंटे बाद बीट गार्ड और डिप्टी रेंजर घटना स्थल पहुंचा लेकिन ये लोग ये नहीं समझ पा रहे थे कि जंगल किसका है वन विभाग का है या फिर राजस्व का।
लंबे समय से हो रहा जंगल की कटाई
दुलियामुड़ा के जिस जगह पर पेड़ों की कटाई की गई है, वह एक-दो दिन का नहीं है कई महिनों का है क्योंकि लगभग 40-50 एकड़ जंगल को कांट कर साफ कर दिया गया है। अब सवाल उठता है कि क्या वन विभाग का मैदानी कर्मचारी अपने फिल्ड पर जाते ही नहीं है या फिर ये सब मिलीभगत से हो रहा है? पेड़ कटाई के मामले में धरमजयगढ़ रेंज हमेशा अखबारों के सुॢखयां बटोरती रहती है।
डिप्टी रेंजर समझ नहीं पाया कि जंगल है किसका
जिस जगह पर कई एकड़ जंगल को काट कर साफ किया गया है वह जंगल किस विभाग का है यहा तक नहीं बता पा रहे डिप्टी रेंजर अश्वनी दुबे। अब आप खुद सोचिए कि वन विभाग में जंगल राज चल रहा की नहीं? क्योंकि वन विभाग के अधिकारी को ही नहीं मालूम उनका जंगल कहां तक है। बात में डिप्टी रेंजर दुबे ने ये बताते हुए मामले को शांत करने की कोशिश की, जिस जंगल की कटाई हुआ है वह जंगल वन विभाग का नहीं राजस्व विभाग का है। और बताया कि राजस्व विभाग का भूमि होने के कारण इस पर वन विभाग कोई कार्यवाही नहीं कर सकता।
मैं किसी को भेजता हूं – तहसीलदार भोजकुमार डहरिया
डिप्टी रेंजर द्वारा बताया गया कि जिस जगह पर पेड़ों की कटाई हुई है वह भूमि वन विभाग का नहीं राजस्व विभाग का है तब हमारे प्रतिनिधि द्वारा तहसीलदार डहरिया से फोन से जंगल कटाई की जानकारी दी गई तो उन्होंने बताया कि मैं किसी को भेज रहा हूं। अब सोचने वाली बात है कि जब जंगल की कटाई हो रही है और इसकी जानकारी हल्का पटवारी द्वारा अपने अधिकारियों को क्यों नहीं दिया गया। अगर समय रहते हल्का पटवारी इस अवैध कटाई की जांच कर प्रतिवेदन अपने उच्च अधिकारी को देते तो आज इतने अधिक मात्रा में अवैध कटाई नहीं होता। अब देखना है कि इस अवैध कटाई पर कौन कार्यवाही करता है वन विभाग या राजस्व विभाग या फिर अवैध कटाई का मामला टॉय टॉय फीस हो जाता है यहा तो समय ही बतायेगा।