रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विकासखण्ड अवैध कारोबारियों के लिए सुरक्षित स्थान माना जाता है, मानो धरमजयगढ़ अवैध कारोबारियों के लिए राम राज्य है, यहां किसी भी प्रकार का स्थानीय प्रशासन का कोई डर भय नहीं है जिसका नतीजा है कि अवैध लाल ईंट संचालकों द्वारा हर साल लाखों रूपये का राजस्व क्षति शासन को पहुंचा रहे हैं? इसके बाद भी स्थानीय प्रशासन मौन धारण कर बैंठे हैं?
जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
धरमजयगढ़ में अवैध लाल ईट बनाने का कारोबार लम्बे समय से चलता आ रहा है। जिसपर ना तो राजस्व विभाग कार्यवाही कर रही ना ही खनिज और पर्यावरण विभाग कोई कार्यवाही नहीं कर रही। धरमजयगढ़ के दुर्गापुर के चौराहे से 100-200 मीटर दूर बोरो सड़क की दिशा में करीब 4-5 लाख लाल ईट के कई ईट भट्टे संचलित हो रहे जिनमें लाखों ईट बनाकर बेचा जा रहा। यहां अवैध लाल ईट बिक्री का काम लम्बे समय से संचालित किया जा रहा है, ईंट भ_ा संचालक द्वारा अवैध कच्चे ईट को जलाने के लिए पास ही जंगल से निकाले कोयले को रखा गया है। इससे पहले भी यहां लाखों ईट के कई भट्टे जलाए गए हैं। जिसपर किसी का ध्यान नहीं गया। बिना परमिशन के ईट भट्टो का संचालन से क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। प्रशासन द्वारा कार्यवाही के आभाव के कारण अवैध कारोबारी प्रशासन के नियमों को ताक पर रखकर अपना कारोबार चला रहे हैं। अवैध ईंट भट्टों से हर माह लाखों का बिक्री किया जा रहा है। धरमजयगढ़ विकास खण्ड में संचलित सभी लाल ईट भट्टों के संचालक के पास कोई परमिशन नहीं है, अनुमति नहीं होने के बाद भी प्रशासन से बिना डरे इनका साम्राज्य दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। अवैध लाल ईंट के निर्माण को रोकने राजस्व और खनिज विभाग को अधिकार है, और अगर जंगल से अवैध तरीके से कोयला लाकर ईंट को जलाया जाता है तो वन विभाग को कार्यवाही करना होता है। ईट भट्टों का संचालन के लिए राजस्व, पर्यवरण एवं खनिज विभाग से अनुमति लेने की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन धरमजयगढ़ विकास खण्ड में लाल ईंट निमार्ताओं के पास तीनों विभाग का कई अनुमति नहीं है। लेकिन अवैध लाल ईट निर्माणकर्ताओं पर कोई भी विभाग कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। बिना अनुमति के कई लाख अवैध तरीके से लाल ईंट निर्माण होने से धरमजयगढ़ विकास खण्ड से हर साल लाखों रूपये राजस्व क्षति शासन को हो रहा है। जिला प्रशासन को चाहिए कि ऐसे अवैध लाल ईंट निर्माण करने वालों पर कार्यवाही करें ताकि लाखों को राजस्व हानि होने से बचे।